नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाये गए कृषि विधेयकों का विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं. इसके बावजूद केंद्र सरकार (Central Government) ने ये विधेयक आसानी से राज्यसभा से पारित करवा लिया. अब विरोधी दलों के पास इस विधेयक को रोक पाने का कोई रास्ता नहीं हैं. इसके बावजूद ये राजनीतिक दल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) से मिलकर उनसे अनुरोध करेंगे कि वे कृषि बिल को अपनी मंजूरी न दें.


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कृषि पर विपक्ष ने छेड़ा संग्राम


आपको बता दें कि कृषि बिल (Agricultural Bills) को लेकर संसद से सड़क तक मोदी सरकार और कांग्रेस की अगुवाई वाली विपक्ष के बीच संग्राम जारी है. इस महासंग्राम के बीच विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का वक्त मांगा है.


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विपक्षी दलों को आशा है कि राष्ट्रपति उनकी मांग को स्वीकार कर लेंगे और इस विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं देंगे. अगर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी बात मान ली तो इस विधेयक को दोबारा राज्यसभा में वोटिंग के लिए रखना पड़ेगा.


राष्ट्रपति से विपक्षी दलों को उम्मीदें


उल्लेखनीय है कि विपक्ष की ओर से अपील की जाएगी कि राष्ट्रपति दोनों कृषि बिलों पर अपने हस्ताक्षर ना करें और वापस इन्हें राज्यसभा में भेज दें.गौरतलब है कि रविवार को ही विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा में ध्वनिमत से कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी गई.


विपक्षी दल कर रहे बवाल


कृषि बिल को लेकर लगातार बवाल हो रहा है. रविवार को विपक्ष के हंगामे के बीच बिल पास हो गया, लेकिन इस दौरान संसद में काफी बवाल हुआ. कई विपक्षी सांसदों ने उपसभापति की चेयर पर रखे पर्चे फाड़े और माइक भी तोड़ दिया. इस पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 8 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया है.