नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में नया ड्रामा शुरू कर दिया है. कांग्रेस (Congress) ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला जिसे दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने रोक दिया, इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने सड़क पर ही बैठकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे.


किसानों की आड़ में कांग्रेस का सियासी हथकंडा


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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पौने दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति भवन तक मार्च का ऐलान किया था, लेकिन पहले पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी. पुलिस ने कांग्रेस मुख्यालय के बाहर धारा 144 लगाते हुए, केवल तीन कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की इजाजत दी. राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.


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राष्ट्रपति से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि "राष्ट्रपति से हमने कहा कि ये जो कानून बनाए गए हैं ये किसान विरोधी हैं और इनसे किसानों,मज़दूरों का नुकसान होने वाला है. मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि किसान हटेगा नहीं, प्रधानमंत्री को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान, मज़दूर घर चले जाएंगे. वो गलत सोच रहे हैं किसान घर वापस नहीं जाने वाला है. हम सब किसानों के साथ मजदूरों के साथ खड़े हैं. बिना डिबेट किए, बिना किसानों से चर्चा किए, ये कानून किसानों पर थोप दिया गया है. इन कानूनों को हटाना ही पड़ेगा."


मेरी बात कोई सुनता ही नहीं: राहुल गांधी


उन्होंने कहा कि "मैं एडवांस में चीज बोल देता हूं, मैंने कोरोना के बारे में बोला था कि नुकसान होने जा रहा है. उस समय किसी ने बात नहीं सुनी. आज मैं फिर से बोल रहा हूं किसान, मज़दूर के सामने कोई भी शक्ति खड़ी नहीं हो सकती. चीन ने भारत की हज़ारों किलोमीटर जमीन छीन ली है, PM उनके बारे में क्यों नहीं कहते? एक तरफ आप सिस्टम को तोड़ रहे हो, किसान, मज़दूर को मार रहे हो और बाहर से ताकतें देख रही हैं, कह रही हैं कि नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान को कमजोर कर रहा है, हमारे लिए अच्छे अवसर बनने जा रहे हैं."


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इसके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा कि "देश की जनता की आवाज को सुनना ही एक नेता का काम होता है, सरकार का काम होता है. सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है, किसानों के प्रति जवाबदेह है. हमारे जवान भी किसानों के ही बेटे हैं; उनके माता-पिता की आवाज सुनी जानी चाहिए."



उन्होंने कहा कि "सरकार सिर्फ 5 साल के लिए या 6 साल के लिये नहीं चल सकती, अगर आप विपक्ष को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे. अन्नदाता की आवाज को सुनना सरकार की जिम्मेदारी है. किसानों की मांगों को सुन कर ही किसानों की समस्या का हल निकालेगा."



किसानों के कंधे पर कांग्रेस पार्टी के युवराज बंदूक रखकर चला रहे हैं. ऐसे में किसानों ने भी राहुल गांधी और कांग्रेस के इस ड्रामे को अच्छी तरह समझ रहा है. तभी तो सड़क पर कांग्रेस नेताओं ने ड्रामा शुरू कर दिया. हर किसी को इसी बात का इंतजार आखिर कब किसानों का आंदोलन खत्म होता है.



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