नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmer Protest) को लेकर सरकार और किसानों के बीच सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल रहा है. सरकार की तरफ़ से किसानों को खुले दिल से संवाद के लिए चिट्ठी भेजी गई. इस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई. संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी ने सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की रणनीति से जुड़ा ड्राफ्ट तैयार किया. दोपहर 2 बजे 40 किसान नेताओं की मीटिंग में इस ड्राफ्ट को मंथन के लिए रखा गया. शाम करीब 6 बजे किसानों की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें किसान संगठनों से जुड़े नेताओं ने दो टूक लहजे में तीनों कृषि कानून वापस करने की मांग रख दी.
'सरकार आग से ना खेले'
केंद्र सरकार को किसान संगठनों ने चेतावनी देते हुए कड़े शब्दों में कहा है कि 'सरकार आग से ना खेले, आंदोलन को हल्के में ना लें और कानून रद्द करें.' इसके साथ ही किसान संगठनों ने बातचीत का प्रस्ताव ठुकरा दिया. किसान नेताओं ने ये साफ-साफ कहा है कि सरकार कोई ठोस प्रस्ताव दे.
किसान नेता शिवकुमार कक्का ने बताया कि हम पहले ही गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे. इसके अलावा स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने कहा कि किसान संघ सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं और सरकार के मेज पर खुले दिमाग से आने का इंतज़ार कर रहे हैं.
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कृषि मंत्री का 'वार्ता संदेश'
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने भी किसानों को संवाद का संदेश दिया. दूसरी ओर किसानों का एक धड़ा कृषि कानूनों के पक्ष में उतर आया है. देश के करीब 20 राज्यों के किसानों ने आज कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए अपने हस्ताक्षप वाला पत्र कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को सौंपा है. किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार संशोधन वाला संवाद करने के हक में है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि आंदोलन का अंत वार्ता से ही होता है. आंदोलन कितना भी बड़ा हो, वार्ता ही ज़रूरी है. नए कृषि कानून किसानों के हित में है, उम्मीद है कि किसान सरकार की बात समझेंगे.
मोदी मंत्र' से मानेंगे किसान?
15 दिसंबर: कच्छ के किसानों से संवाद
18 दिसंबर: रायसेन के किसानों से वार्ता
25 दिसंबर: अटल जयंती पर किसान संवाद
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अन्नदाता के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) एक बार फिर किसान संवाद करेंगे. अटल जयंती पर 25 दिसंबर को देश के 6 अलग-अलग राज्यों के किसानों से पीएम की बातचीत होगी, लेकिन ख़ास बात ये है कि इस दौरान मोदी किसानों को बड़ी सौगात भी देंगे. पीएम खुद किसानों के बैंक खाते में पीएम किसान सम्मान निधि की किस्त के रूप में 2000-2000 रुपये ट्रांसफर करेंगे. 9 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 18,000 करोड़ से भी ज्यादा रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. मतलब, आंदोलन के बीच इस क़दम से साफ़ संदेश जाएगा कि मोदी सरकार किसानों का जीवन बेहतर करने में जुटी है.
किसानों की आशंकाएं दूर करने की कोशिशें खुद प्रधानमंत्री की तरफ से हो रही है. पहले कच्छ में किसानों संग प्रधानमंत्री ने संवाद किया, फिर रायसेन में भी किसानों से वार्ता की. अब 25 दिसंबर को भी पीएम बोलेंगे और अन्नदाता सुनेंगे.
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सरकार के संवाद प्रस्ताव को ठुकरा चुके किसानों की आगे की रणनीति भी तय है. किसान 25-27 दिसंबर को हरियाणा के सभी टोल फ्री करेंगे. 26-27 दिसंबर को विदेशों में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने का मन बना चुके हैं, जबकि 27 दिसंबर को किसान पीएम के मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के दौरान थाली बजाएंगे.
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