नई दिल्ली: संवाद के बीच फसाद का एजेंडा चलाने वाले किसानों से हमदर्दी का ढोंग रचने वालों का चेहरा आखिर आज सामने आ ही गया. सरकार और किसानों के बीच करीब 5 घंटे चली बैठक बेनतीजा रही, 10 दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकला. लंच तक सरकार और किसानों की बातचीत में किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई. लिहाजा, अब 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे 11वीं दौर की वार्ता होगी.


बनती बात बिगाड़ने गए राहुल 'घुसपैठिए'


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अभी तक किसान नेता (Farmer Leader) इस बात का दावा कर रहे थे कि आंदोलन गैर राजनीतिक है, लेकिन दिल्ली (Delhi) में राहुल और प्रियंका गांधी दोनों बस पर सवार होकर कृषि कानून खिलाफ प्रदर्शन करने उतर पड़े. इटली में छुट्टी का टूर खत्म कर राहुल को अचानक किसानों की याद आई और वो हमदर्द बनकर सामने आए.


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इसकी टाइमिंग पर गौर करना जरूरी है. कृषि कानूनों पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को पहली बैठक हुई और इसी दौरान कांग्रेस ने अलग-अलग शहरों में जमकर हंगामा और बवाल काटा. दिल्ली से लेकर कोलकाता तक.. चंडीगढ़ से लेकर जम्मू-तक.. कांग्रेस कार्यकर्ता खुलकर इस आंदोलन को भड़काने के लिए सड़कों पर उतर पड़े .और इसकी अगुवाई खुद राहुल ने की.


मोदी सरकार पर राहुल-प्रियंका का वार


प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का कहना है कि 'देश की आजादी की रक्षा किसानों ने की है, जिस दिन देश की खाद्य सुरक्षा चली जाएगी उस दिन ​देश की आजादी चली जाएगी. ये देश पर आक्रमण है, एक तरफ नरेंद्र मोदी व उनके 2-3 अरबपति मित्र हैं दूसरी तरफ हिंदुस्तान और उसके किसान हैं. इनका अहंकार जल्द टूटेगा.' वहीं राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का कहना है कि 'मोदी-माया टूट गयी, मोदी सरकार (Modi Sarkar) का अहंकार भी टूटेगा लेकिन अन्नदाता का हौसला ना टूटा है, ना टूटेगा. सरकार को कृषि विरोधी कानून वापस लेने ही होंगे!'



दिल्ली में राजभवन घेरने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम रवाना निकला. इसके बाद राहुल और प्रियंका जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए और राहुल ने देश की न्याय पालिका पर ही सवाल उठा दिए. 



वहीं राहुल गांधी को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून पर कांग्रेस झूठ बोल रही है. राहुल के बयान पर कांग्रेस के नेता हंसते हैं. राहुल ने कहा था कि देश की अदालत नरेंद्र मोदी चला रहे हैं. किसान को मोहरा बनाकर कांग्रेस अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी है, लेकिन सबकी निगाहें इस बात पह हैं कि आंदोलन की दीवार कब टूटेगी.


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किसान आंदोलन को भड़काने वाले जो अब तक पर्दे के पीछे थे. वो सुलह के बीच नफरत का बीज बोने के लिए जमीन पर उतर आए हैं. आंदोलन की जिस दीवार को तोड़ने के लिए सरकार और किसानों के बीच बातचीत हो ही रही थी कि उसमें विदेशी घुसपैठियों ने कूदकर फिर से अड़ंगा डाल दिया.


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