नई दिल्लीः कहावत है, चोर की दाढ़ी में तिनका. यही हाल राष्ट्रविरोधी और हिंदू विचारधाराओं के आलोचकों वामपंथी कमजोरों (ताकतों लिखना गलत है) का है. जैसे ही कोई सही बात कही जाए, जिससे उनकी कार्यशैली पर आंच उठे और सवालिया निशान लगें तो ये सभी लोग एक सुर में आवाजें निकालना शुरू कर देते हैं.


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कोशिश करने लगते हैं कि मामले को साम्प्रदायिकता की ओर मोड़ दिया जाए. बस कहीं से हिंदुत्व प्रतीक नजर आना चाहिए. हथिनी 'विनायकी' की हत्या प्रकरण में अब भाजपा नेता मेनका गांधी को घेरने की कोशिश की गई है. उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. 


केरल में हथिनी की हत्या के मामले में मेनका गांधी ने बयान दिया था. अब आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दंगा भड़काने की नीयत से बयान दिया था. एक शख्स जिसका नाम ही जलील है, उसने इस मामले में शिकायत दी है.



उसकी शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 153 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है. भाजपा नेता मेनका के खिलाफ जो धारा लगाई गई है, वह दंगा भड़काने की नीयत से भड़काऊ बयान देने के मामले में लगने वाली धारा है. 


अब देखिए मेनका ने कहा क्या था...
शिकायत करने वाले जलील का आरोप है कि मेनका गांधी ने दंगा भड़काने की मंशा से मलप्‍पपुरम के लोगों के खिलाफ बयान दिया था. मलप्‍पुरम जिले के पुलिस प्रमुख अब्‍दुल करीम यू ने बताया कि मेनका के खिलाफ छह शिकायतें आईं हैं.



भाजपा नेता मेनका गांधी ने 27 मई को हुई इस घटना में दुःख जताते हुए एक ट्वीट किया था. उन्होंने जो लिखा, उसका मजमून था- 'मलप्‍पुरम अक्सर अपनी जघन्‍य आपराधिक गतिविधियों, विशेषतः जानवरों के खिलाफ होने वाले अत्‍याचारों को लेकर चर्चा में रहता है. एक भी शिकारी या वन्‍य जीव के हत्‍यारे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई इसलिए ये गतिविधियां जारी है.'


...लेकिन मल्लपुरम के लोगों को इससे दर्द क्यों?
यहां ध्यान देने वाली बात है कि इस पूरे वाक्य में या कही गई बात में एक बार भी सांप्रदायिक, किसी समुदाय की ओर इंगित करता हुआ कोई शब्द या किसी वर्ग विशेष को लेकर टिप्पणी नहीं दिख रही है. सिर्फ साफ-साफ शिकारी अथवा वन्य जीवों के हत्यारे कहा गया है.


हत्यारा कोई भी हो सकता है, किसी भी धर्म-जाति का होता है, लेकिन कानून की नजर में वह केवल हत्यारा होता है. भाजपा नेता के खिलाफ जिस तरीके से मामला दर्ज कराया गया है, क्या मल्लपुरम के लोगों ने सांप्रदायिकता की रट लेकर किसी तरह की आशंका को सच साबित कर रहे हैं. क्या वाकई हत्यारों का पंथ, वामपंथ है? सवाल उठना लाजिमी है. 


वामपंथियों ने विरोध करने के लिए किया साइबर अपराध
हर बात पर विरोध-विरोध की रट लगाने वाले एक और अपराध कर गए. मेनका गांधी का विरोध जताने के लिए कुछ हैकरों ने मेनका गांधी के एनजीओ की साइट भी हैक कर ली. उनके एनजीओ पीपल फॉर एनिमल्‍स (पीएफए) की साइट हैक की गई थी.


इन लोगों ने साइट पर लिखा, 'मेनका गांधी ने एक गर्भवती हथिनी की दुखद मौत को गंदी राजनीति में घसीट लिया.’ इसमें आगे कहा गया है, 'यह घटना पालक्कड जिले में हुई और हम सब जानते हैं कि आपने जानबूझकर मलप्पुरम जिले को इसमें घसीटा ताकि सांप्रदायिक रूप से प्रेरित झूठी जानकारी फैलायी जा सके. आपका एजेंडा स्पष्ट है, जानवरों के लिए प्यार मुसलमानों के प्रति नफरत से जुड़ा हुआ है.’


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हर जगह विक्टिम कार्ड कैसे खेल लेते हैं ये लोग
इस पूरे मामले पर सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो एक बात स्पष्ट दिखेगी, वह है विक्टिम कार्ड. यानी खुद को घोषित रूप से सदियों का पीड़ित बता देना. मामला हथिनी की हत्या का है. एक बेजुबान से दुर्दांत व्यवहार करने का है.


उसमें अगर कोई न्याय की आवाज उठाता है तो वहां भी इसे रोते-गाते हुए धर्म के आधार पर नफरत से प्रेरित और जुड़ा हुआ बता देना, पुरानी रीति नीति है. भाजपा नेता मेनका गांधी पर मामला दर्ज कराना इसी रीति-नीति का हिस्सा है. 


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