अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) से लेकर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तक जिस प्रख्यात संन्यासी के प्रशंसक रहे, वह अब इस चमत्कारी संत इस धरा पर मौजूद नहीं हैं. चुनरीवाले माताजी के नाम से मशहूर इस संत का मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में देहांत हो गया. 


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विज्ञान के लिए चुनौती था संत प्रह्लाद जानी का जीवन
संत प्रह्लाद जानी का जीवन विज्ञान के मौजूदा तर्कों के लिए सबसे बड़ी चुनौती था. उनके शरीर बिना किसी बाहरी पोषण के जीवित रहता था. संत शिरोमणि ने पिछले 75 सालों से भोजन या पानी ग्रहण नहीं किया था. उन्होंने गांधीनगर स्थित अपने पैतृक गांव चराड़ा में अपने शरीर का त्याग किया. लेकिन इसके पहले तक वह वैज्ञानिकों की हर परीक्षा में खरे उतरे थे. उनकी आध्यात्मिक शक्तियां अनन्य थीं. 
संत प्रह्लाद जानी को गुरुवार को समाधि दी जाएगी. चराड़ा गांव में ही उनका पैतृक निवास था. जहां साल 1929 में पैदा हुए थे. 



कई बार हुआ था संत महोदय का परीक्षण
संत प्रह्लाद जानी की जिंदगी विज्ञान के लिए किसी पहेली से कम नहीं था. उनकी जीवनशैली का कई बार वैज्ञानिकों ने गहन परीक्षण किया था. कई बार उनके उपर कैमरे लगाए गए. 



साल 2011 में उन्हें अस्पताल में भर्ती करके उनका परीक्षण किया गया. इस दौरान उन्हें 10 दिनों तक प्रतिपल सर्विलांस पर रखा गया. इस बीच अत्याधुनिक मशीनों से उनकी जांच की गई. फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट,एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डायबिटोलॉजिस्ट, यूरो सर्जन, आंख के डॉक्टर और जेनेटिक के जानकार डॉक्टरों की टीम ने लगातार उनका निरीक्षण किया. जिसके बाद 300 वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. जिसके मुताबिक-
- पूरे 10 दिन तक संत प्रह्लाद जानी ने कुछ नहीं खाया, यहां तक की पानी भी नहीं पीया. 
- इस पूरे समय यानी 10 दिन बाद भी उनके शरीर के सभी अंग सुचारु रुप से कार्यरत थे
- दिल की धड़कनों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं दर्ज किया गया
- उनके पेट के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भी किसी तरह की कोई समस्या नहीं दिखी. 
- दिमाग का एमआरआई भी बिल्कुल सामान्य रहा. 
- उनके सीने का एक्स-रे भी सामान्य रहा
- रक्त में ऑक्सीजन लेबल मेंटेन रखने वाले हीमोग्लोबीन के स्तर में कोई खास फर्क नहीं पड़ा.

इसके पहले भी साल 2003 और 2005 में देश के कई विख्यात डॉक्टर उनका शारीरिक परीक्षण कर चुके थे. भोजन-पानी ग्रहण न करने के कारण संत प्रह्लाद जानी शौच और मूत्रत्याग जैसी शारीरिक जरुरतों से भी मुक्त थे. 



पूर्व राष्ट्रपति और देश के विख्यात वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी अपने जीवनकाल में संत प्रह्लाद जानी में भारी रुचि दिखाई थी. उनका मानना था कि यदि संत प्रह्लाद जानी के शरीर में किसी विशेष तरह का जीन काम कर रहा है तो उसके बारे में पता लगाकर दुनिया की भुखमरी की समस्या का स्थायी समधान किया जा सकता है. यही नहीं अंतरिक्ष यात्रियों को भी इस तरह की जीन थैरेपी देकर उन्हें भोजन पानी की आवश्यकता से मुक्त रखा जा सकता है. 
संत प्रह्लाद जानी को मां भगवती का वरदान था
संत प्रह्लाद जानी जैसी शक्तियां हासिल कर पाना किसी आम इंसान के बस में नहीं था. वह मां दुर्गा के अनन्य भक्त थे. उन्हें जगदंबा माता की कृपा से ही भूख प्यास से मुक्ति हासिल हुई थी. 
संत प्रह्लाद जानी अपने देहांत तक नियमित योगाभ्यास करते थे और गहन ध्यान में लीन रहते थे. वह मांदुर्गा से इतने एकात्म हो गए थे कि स्वयं को स्त्री मानते थे और महिलाओं की तरह ही नाक में नथ और वस्त्र धारण करते थे. 



संत प्रह्लाद जानी ने भोजन और जल त्याग की इस अनोखी शक्ति के बारे में बताया था कि 14 साल की उम्र में उन्हें तीन दिव्य कन्याओं के दर्शन हुए थे. जिन्होंने उनकी जिव्हा को स्पर्श किया था. जिसके बाद उन्हें भोजन और पानी की जरुरत कभी महसूस नहीं हुई. 
संत श्री ने बेहद कम उम्र में ही संन्यास धारण कर लिया था. वह गुजरात के अंबाजी मंदिर निकट शेषनाग पहाड़ी पर एक गुफा में रहते थे. उनके पास भक्तों का तांता लगा रहता था. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे मुलाकात कर चुके हैं. 
संत शिरोमणि प्रह्लाद जानी को ज़ी हिंदुस्तान का कोटि कोटि नमन...