नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का नया बाहुबली दुश्मन के इलाके से इतने सन्नाटे से गुजर जाए कि दुश्मन की नौसेनाएं सन्नाटे में आ जाए. जी हां, यही तो खासियत है हिन्दुस्तान की नई स्टेल्थ स्कोर्पियन सबमरीन वगीर की,  जिसे मुंबई के मझगांव डॉक से अरब सागर में उतार दिया गया है. 


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समंदर का 'नया शिकारी' आ गया !
वगीर स्कोर्पियन कैटेगरी का सबमरीन है. इसे फ्रांस के तकनीकी सहयोग इसे बनाया गया है. हिन्दुस्तान ने साल 2022 तक छह स्कोर्पियन कैटेगरी की सबमरीन अपने समुद्री बेड़े में शामिल करने की प्लानिंग की थी. 



इस टॉप सीक्रेट वाले प्रोजेक्ट पर साल 2005 में काम शुरू हुआ था। तब इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 23, 500 करोड़ तय की गई थी।  


350 मीटर गहराई की डुबकी से दुश्मन को चकमा !
हिन्दुस्तान की स्कोर्पियन स्टेल्थ प्रोजेक्ट की पांचवीं सबमरीन है वगीर. इससे पहले चार स्कोर्पियन सबमरीन हिन्दुस्तान के समुद्री बेड़े का हिस्सा बन चुके हैं. 1565 टन वजनी वगीर की लंबाई साढ़े सड़सठ मीटर ( 67.5 मीटर) है और ऊंचाई 12.3 मीटर है. यानी दो मंजिला बिल्डिंग से ऊंचा और लंबाई में फुटबॉल के आधे मैदान से भी ज्यादा. और ये समंदर में साढ़े तीन सौ मीटर की गहराई में 45 दिनों तक रह सकती है. 



फ्रेंच टेक्नोलॉजी वाला मेग्नेटाइज़्ड मोटर इसे समंदर के अंदर इतनी सधी चाल देता है कि पानी के नीचे न तो इसकी आवाज गूंजती है ना ही किसी तरह का कंपन पैदा होता है, जिसे रडार पकड़ सके. समंदर की सतह पर तैर रहे युद्धपोत हों या आसमान से समंदर पर नजर रख रहे टोही विमान...दोनों के रडार ढूंढते रह जाएंगे, और वगीर उन्हें नाक के नीचे से चकमा देकर निकल जाएगा. 


भनक भी न लगेगी और दुश्मन का काम तमाम!
हिंद महासागर की निगहबानी के लिये बन रहे हिन्दुस्तानी नौसेना के  मेरीटाइम थियेटर कमांड में वगीर और उसकी क्लास की स्टेल्थ स्कोर्पियन सबमरीन की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है. अरब सागर से होकर अफ्रीका और दूसरी ओर पांच हजार किलोमीटर दूर दक्षिण चीन सागर तक ये अत्याधुनिक स्टेल्थ सबमरीन किसी भी मिशन को खुफिया तरीके से अंजाम देकर चुपचाप लौट आ सकती है. 



 यही वजह है कि चीन और पाकिस्तान दोनों परेशान है. वगीर की मौजूदगी से पाकिस्तान के कराची के ग्वादर पोर्ट पर हिन्दुस्तान की सीधी नजर रहेगी. 


जानिए वगीर का बाहुबल 
दो ताकतवर पेरिस्कोप से लैस है वगीर, जिससे इसे चौतरफा निगाह रखने में मदद मिलेगी. ग्यारह किलोमीटर की लंबी पाइप फिटिंग और 60 किलोमीटर लंबी केबल फिटिंग भी है. हथियारों की ताकत की बात करें तो वगीर में टारपीडो फायर करने वाले छह टारपीडो ट्यूब्स हैं, जिनमें बार टारपीडो एक साथ लगाए जा सकते हैं. 



एंटी शिप मिसाइल SM-39 को इसके जरिये आसानी से दागा जा सकता है, जो बड़े युद्धपोत को डुबाने की ताकत रखता है. समंदर में बारूदी सुरंग बिछाने में वगीर का जोड़ नहीं है. और ये सबकुछ वो नौसेना के जंगी जहाजों से तकनीकी तालमेल बिछाकर आसानी से कर सकता है. इसके लिये वगीर में अत्याधुनिक हाई सेंसर कॉम्बेट टेक्नोलॉजी खास तौर से लगी हुई है.


चीन-पाक की हैकिंग की साजिश नाकाम
हिन्दुस्तान के इस टॉप सीक्रेट डिफेंस प्रोजेक्ट की भनक लगते ही चीन और पाकिस्तान बेचैन हो गए थे. इसी के बाद हिन्दस्तान के इस स्कोर्पियन सबमरीन प्रोजेक्ट की जानकारियों को हैक करने की साजिशें शुरू हो गईं.  


अगस्त 2016 में चौंकाने वाली खबर आई कि स्कोर्पिन सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़े बाइस हजार चार सौ पन्ने (22,400) लीक हो गए हैं. इस खबर को ऑस्ट्रेलिया के अखबार - 'द ऑस्ट्रेलियन' ने छापा था. सवाल ये था कि इस टॉप सीक्रेट प्रोजेक्ट के दस्तावेज लीक होने की खबर कितनी सही थी. और अगर ये सही थी तो दुश्मन देशों के हाथ किस हद तक और कैसे इसकी कितनी जानकारी पहुंची थी. रक्षा मंत्रालय को इस मामले की जांच के आदेश देने पड़े.  


अब इन बातों का जिक्र बस इसीलिये ताकि आप समझ सकें कि वगीर जैसी स्कोर्पियन सबमरीन को हिन्दुस्तान की नौसेना का नया शक्तिमान क्यों कहा जा रहा है. कैसे समंदर में उतरने से पहले से ही ये दुश्मन देशों के दिलों में खौफ जगाने लगा था.


वगीर अब अरब सागर में उतर चुका है. लेकिन उसे जंगी मोर्चे पर अपना जलवा दिखाने से पहले अपनी ताकत अपने हुनर अपनी क्षमताओं को  हर तरह की हालात में परखना होगा. साल भर तक उसके सारे सरंजामों को कई तरीके से टेस्ट किया जाएगा. 


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