बेंगलुरु. अयोध्या के राम मंदिर में कल होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बीच कर्नाटक में 'बजरंगबली के जन्मस्थल' में खुशियों का माहौल है. कर्नाटक के विजयनगर जिले में स्थित हम्पी में तुंगभद्रा नदी चट्टानी इलाकों से होकर बहती है. हम्पी का ऐतिहासिक क्षेत्र और भी महत्वपूर्ण हो गया है. यह स्थान भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है क्योंकि यहीं पर उनमें अपनी पत्नी सीता को वापस पाने की आशा जगी थी. अंजना की पहाड़ी अंजनाद्रि पर बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था. यह बगल के कोप्पल जिले में स्थित है.


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हनुमान भगवान राम के परम भक्त माने जाते हैं. पहाड़ी की चोटी पर हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में लंगूर सहित विभिन्न प्रकार के बंदर रहते हैं. महाकाव्य रामायण में भगवान राम के प्रति सुग्रीव के मंत्री हनुमान की अटूट भक्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है. 


मंदिर में किए गए है विशेष इंतजाम
अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन ने अयोध्या के राममंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. काफी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर में आ रहे हैं. पूरी पहाड़ी को रोशनी से सजाया गया है. रविवार से दो दिनों तक मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाए जाएंगे और विशेष पूजा की जाएगी.


हम्पी-अयोध्या का पुराना रिश्ता
बता दें कि हम्पी और अयोध्या का रिश्ता बहुत गहरा है. हम्पी को प्राचीन समय में पम्पा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था जो किष्किंधा साम्राज्य की राजधानी थी. किष्किंधा पर दो वीर वानर शासकों बाली और सुग्रीव का शासन था. तुंगभद्रा नदी के पार ऋष्यमूक की तलहटी में गुफा है, जहां राम और सुग्रीव ने अग्नि को साक्षी रखकर मित्रता की शपथ ली थी.


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