Kharmas 2020 हो गया शुरू, जानिए क्यों लगा मांगलिक कार्यों पर Ban
ज्योतिष कहता है कि 12 महीनों में सूर्य ज्योतिष की 12 राशियों में प्रवेश करते हैं. 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो उस स्थिति को खरमास कहते हैं.
नई दिल्लीः Corona के कारण हुए Lockdown का ग्रहण जब हटा तो साल 2020 के आखिरी महीनों में धड़ल्ले से रुकी हुई शादियां हुईं. देवोत्थानी एकादशी के बाद से जो शहनाइयों के बजने का सिलसिला शुरू हुआ तो वह 15 दिसंबर तक चलता ही रहा है.
अब एक बार फिर शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक लग गई है. नहीं इस बार यह रोक Government ने नहीं लगाई है, बल्कि यह रोक ज्योतिषीय कारणों से लगी है. इसका कारण है खरमास आरंभ.
इसलिए कहते हैं खरमास
सनातन परंपरा के आधार पर सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करने की नक्षत्र गति को खरमास कहते हैं. 2020 में 16 दिसंबर से खरमास का आरंभ हो चुका है. मान्यता के अनुसार इस समय सूर्यदेव की गति मंद हो जाती है.
इसका कारण है कि लगातार संसार का भ्रमण करते हुए जब सूर्यदेव के रथ के घोड़े थक जाते हैं तब उन्हें विश्राम की आवश्यकता को देखते हुए सूर्यदेव के सारथि अरुण कुछ समय के लिए खर (गधे) को रथ में जोत लेते हैं. इसी कारण इस समय को खरमास नाम दिया गया है.
जप-तप का है विशेष महत्व
ज्योतिष कहता है कि 12 महीनों में सूर्य ज्योतिष की 12 राशियों में प्रवेश करते हैं. 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य देव गुरु
बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो उस स्थिति को खरमास कहते हैं.
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं. साल में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य के राशि में प्रवेश करने पर शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. सनातन परंपरा में इस समयकाल में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. इस अवधि में जप-तप का विशेष महात्मय बताया गया है.
यह कार्य नहीं हो सकते हैं संपन्न
15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास आरंभ हो गया है. एक माह तक खरमास का समयकाल रहेगा. 14 जनवरी 2021 को यह समाप्त होगा. खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि को वर्जित बताया गया है.
इन कार्यों को किया जा सकता है
खरमास के दिनों में सूर्य उपासना को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ नही हैं. इस समयकाल में दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इन दिनों में किए गए दान का कई गुना फल प्राप्त होता है.
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