नई दिल्लीः भारत भूमि का कंकण-कंकण शंकर है और पर्वत-पर्वत मंदिर. देवी-देवताओं की लीला स्थली और ऋषि मुनियों की तपस्थली वाला यह देश कई अवतारों से धन्य रहा है. आज युगों के बीत जाने के बाद भी भारतीय सभ्यता उनक अवतारों का अनुसरण कर सभ्यता का वरण कर रही है. देश में शारदीय नवरात्र की धूम है और ऐसे पावन समय में जब Corona का संकट छाया हुआ है तो मंदिर दर्शन अभी सुलभ नहीं है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


इसलिए जी हिंदुस्तान मंदिरों के दर्शन कर रहा है. इसी कड़ी में दर्शन कीजिए माता के उस परमधाम के जो कि द्वापर युग से भक्तों पर कृपा बनाए हुए है. परंपरा और इतिहास को समेटे यह अवंतिका माता मंदिर उत्तर प्रदेश में स्थित है. यह मंदिर महाभारतकालीन है और श्रीकृष्ण-रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है.


दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
नवरात्रि के मौके पर मां अवंतिका देवी के नौ रूप अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. बुलंदशहर जिले से 45 किलो मीटर दूर अहार क्षेत्र में स्थित मां अवंतिका की शोभा नवरात्रों में देखते ही बनती है. मंदिर पर पूरे नवरात्र मेला लगता है.



इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि प्रदेशों से श्रद्धालु यहां आकर मैया के दर्शन कर मनौती मांगते हैं. मान्यता है कि देवी मां सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. हालांकि Corona के कारण हर साल की तरह इस बार की रौनक नहीं है.   


गंगा नदी ने रास्ता बदल लिया
कहते हैं कि भगवान कृष्ण की पत्नी मां रुक्मणी अपने महल से यहां गुफा के रास्ते प्रतिदिन आकर मां अवंतिका की पूजा अर्चना करती थीं. जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान श्री कृष्ण वर के रूप में प्राप्त हुए थे. एक बार गंगा मां और मां अवंतिका में बहस हो गई. गंगा मां ने मंदिर पर कटान करना शुरू कर दिया.



ये सिलसिला काफी समय तक चलता रहा. लेकिन मां गंगा मंदिर को हिला भी नही पाईं. हार थक कर मां गंगा ने अपना रास्ता ही बदल लिया और दूर चली गईं.


मंदिर में साक्षात प्रकट हुई थीं मां अम्बा
मान्यता है कि इस मंदिर में अवंतिका देवी जिन्हें अम्बिका देवी भी कहते हैं साक्षात् प्रकट हुई थीं. मंदिर में दो मूर्तियां हैं, जिनमें बाईं तरफ मां भगवती जगदंबा की है और दूसरी दायीं तरफ सतीजी की मूर्ति हैय. यह दोनों मूर्तियां 'अवंतिका देवी' के नाम से प्रतिष्ठित हैं.



महाभारत काल यह मंदिर अहार नाम से जाना जाता था. पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक, यहां रुक्मिणी रोजाना गंगा किनारे स्थापित अवंतिका देवी के मंदिर में पूजा करने आती थीं. 


यहीं हुआ था श्रीकृष्ण-रुक्मिणी मिलन
रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने शिशुपाल से मित्रता के कारण अपनी बहन का विवाह उससे तय कर दिया था. जबकि रुक्मणि श्रीकृष्ण को ही पति रूप में चाहती थीं. इसलिए देवी ने मां अम्बा से प्रार्थना की. विवाह वाले दिन देवी रुक्मणि इसी मंदिर में पूजन के लिए आई थीं.



वहीं श्रीकृष्ण भी आए, दोनों का मिलन हुआ और श्रीकृष्ण ने रुक्मणि से विवाह कर लिया. इस मंदिर में स्त्रियां पति व संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं. 


यह भी पढ़िएः Navratri special: जानिए कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप, आज हो रही पूजा


देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा...


नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-

Android Link -