Navratri special: जानिए कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप, आज हो रही पूजा
माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं. दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं।. माथे पर बना आधा चंद्र इनकी पहचान है. इस अर्ध चंद्र की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.
नई दिल्लीः नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों को निर्भय और सौम्य बनाता है. ज्योतिषियों के अनुसार माना जाता है कि जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर होता है. उन्हें मां चंद्रघंटा की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं. दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं।. माथे पर बना आधा चंद्र इनकी पहचान है. इस अर्ध चंद्र की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.
एकाग्रता की प्रतीक हैं माता की तीसरी शक्ति
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघण्टा हैं. माता के मस्तक पर घण्टे के आकार का चंद्र शोभित है. यही इनके नाम का आधार है. देवी एकाग्रता की प्रतीक हैं और आरोग्य का वरदान देने वाली है. असल में नाद ही सृष्टि की चलायमान शक्ति है. यह ऊंकार का स्त्रोत है और सृष्टि की प्रथम ध्वनि है.
घंटा ध्वनि सभी ध्वनियों में सबसे शुद्ध और शांत प्रवृत्ति वाली है. यह ऊर्जा को बढ़ाती है. जो लोग एकाग्र नहीं रह पाते, क्रोधी स्वभाव और विचलित मन वाले हैं, मां चंद्रघंटा की शरण लें. और इस मंत्र से उपासना करें.
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
प्रकाश स्वरूपा हैं देवी चंद्रघंटा
आज के परिवेश में देवी के स्वरूप को इस अर्थ में समझना होगा कि मां का यह रूप प्रकाश की ओर ले चलने वाला है. चंद्रमा शीतल प्रकाश का प्रतीक है जिसकी चांदनी अंधकार में भी सब कुछ देखने में सक्षम बना देती है.
आज Corona संकट के दौर में जब उम्मीद की रौशनी कहीं नहीं दिख रही है तो मां का स्वरूप दीपक के उस प्रकाश की तरह है जो घुप्प अंधेरे में भी उम्मीद जगाता है कि अंधकार हारेगा.
अभय देता है घंटनाद
घंटनाद के जरिए मां निर्भय प्रदान करती हैं और आश्वस्त करती हैं कि प्राणीमात्र के साथ यह पराशक्ति मौजूद है. यह घंट ध्वनि अंधकार में मार्ग प्रशस्त करती है कि चंद्र के हल्के प्रकाश में उस ओर चलो जिधर घंटा ध्वनि सुनाई दे रही है.
यानि के सूक्ष्म रूप में हमें अपने अंतर्मन में एक प्रकाश की लौ जला कर रखनी है. हृदय के स्पंदन (धड़कने) की ध्वनि ही वह घंट नाद है जो निरंतर हमें सकारात्मक विचार वाले मार्ग पर प्रशस्त करेगा.
इस तरह देवी का यह सूक्ष्म स्वरूप में हम सभी में समाहित है जो कि साहस और अभय प्रदान करता है. नवरात्र का तीसरा दिन इसी एकाग्रचित करने वाली शक्ति को समर्पित है.
यह भी पढ़िएः Navratri special: जानिए, क्या है देवी ब्रह्मचारिणी के स्वरूप का गूढ़ रहस्य
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा...