नई दिल्लीः Corona संकट और त्योहारों की आने वाली आपाधापी के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. उन्होंने 20 अक्टूबर की दोपहर अपने ट्विटर हैंडल से घोषणा की थी कि वह शाम 6 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन देंगें.


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इसके बाद से अटकलों का दौर जारी था कि आखिर PM Modi क्या कहने वाले हैं. हालांकि अब सब कुछ साफ हो चुका है और PM Modi ने जो कहा उसका साफ-साफ अर्थ है कि अभी हमें सतर्कता बरतनी है. 


PM Modi ने कही कई गूढ़ बातें
अपने करीब 12 मिनट के इस संदेश में PM Modi ने कई गूढ़ बातें कहीं. जन-जन के मन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्होंने जनता जनार्दन के पटल पर बसे महापुरुषों-संतों की वाणी का आश्रय लिया. जिसमें वेदों से निकली सूक्ति, कबीर संत की अमृत वाणी और गोस्वामी तुलसी दास की मोक्षदायी लेखनी रामचरिक मानस के उदाहरण को सामने रखा.  PM Modi ने सबसे पहले कहा सेवा परमो धर्मः.


सबसे पहले कहा सेवा परमो धर्मः
उन्होंने कहा कि सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे doctors,  nurses, health workers इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं. इन सभी प्रयासों के बीच,  ये समय लापरवाह होने का नहीं है.  ये समय ये मान लेने का नहीं है कि Corona चला गया,  या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है.



संत कबीर का दोहा सुनाया
इसके बाद उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की और संत कबीर के प्रसिद्ध दोहे को उदाहरण बनाकर सामने रखा. PM Modi ने कहा 
पकी खेती देखिके, गरब किया किसान.
अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान.


समझिए, यह है दोहे का अर्थ
संत कबीर के इस दोहे में झोला का अर्थ है झमेला यानी परेशानी. कबीर के मुताबिक, किसान की फसल पक चुकी है और वह बहुत प्रसन्न है. यहीं से उसे खुद पर गरब यानी गर्व हो जाता है, लेकिन फसल काटकर घर ले जाने तक बहुत सारे झमेले होते हैं.



फसल काटकर खेत में रखी है और उस दौरान बारिश हो जाए तो सब चौपट हो जाता है. जब तक फसल घर न आ जाए, तब तक सफलता नहीं माननी चाहिए. इसीलिए कहा है कि घर आवै तब जान. 


हमें भी इस माहौल में इसका अनुसरण करना है
कबीर साधु का कहना है कि जब काम अंजाम तक न पहुंचे तब तक न मानें कि हम सफल हो गए हैं. ठीक यही बात PM Modi ने भी कही है. उनका तात्पर्य है कि कोई भी काम करें, जब तक अंजाम तक न पहुंच जाएं, यह बिल्कुल नहीं मानना चाहिए कि हम सफल हो चुके हैं.



बाधाएं कई प्रकार की होती हैं और वे कभी भी आ सकती है. अभिमान यानी गर्व और लापरवाही भी बाधाएं ही हैं. हमें अभिमान और लापरवाही से बचते हुए कार्य करना चाहिए. तभी अंत में सफलता मिल सकती है. 
सीधी सी बात है कि देशभर में Unlock की प्रक्रिया भले ही शुरू हो चुकी है. लेकिन हमें त्योहारों के बीच लापरवाही बिल्कुल भी नहीं बरतनी है. 


मानस के प्रसंग का उदाहरण दिया
इसके बाद PM Modi ने मानस के प्रसंग से सोरठा छंद कहा. 
रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।
अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन॥21


श्रीरामचरितमानस में एक प्रसंग का उल्लेख है जिसमें शूर्पणखा अपना नाक व कान कट जाने के बाद अपने भाई रावण के पास जाती है. रावण क्रोध में आकर लक्ष्मण से बदला लेने की बात करता है. तब शूर्पणखा रावण को बताती है कि इन 6 चीजों को कभी कमजोर या छोटा नहीं समझना चाहिए. इसके बाद वह इनका वर्णन इस प्रकार करती है. 




रोगः अक्सर हम अपनी छोटी –छोटी बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यही छोटी बीमारियां हमारे शरीर को अंदर से खत्म कर देती हैं. कभी-कभी साधारण लगने वाली खांसी भी बड़ी बीमारी का संकेतक होती है. इस तरह छोटी-छोटी बीमारियां या रोग हमारी मृत्यु का कारण बन सकते हैं.



ध्यान देने वाली बात है कि इस वक्त में Corona से जूझ रहे हैं जो कि बीमारी नहीं महामारी है. 


अग्निः आग का सबसे छोटा रूप एक चिंगारी होती है, परन्तु यही छोटी सी चिंगारी पुरे वन को जला कर राख कर सकती है. आग के विकराल रूप पर नियंत्रण पाना किसी के बस में नहीं होता. इसलिए आग के साथ कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. यह कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.


पापः शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मो के हिसाब से फल मिलता है. कई बार व्यक्ति ऐसे छोटे-छोटे गलत कार्य कर देता है जिससे वह पाप का भागीदार बन जाता है. जब इन छोटे-छोटे पाप कर्मों का फल एकत्रित हो जाता है तो इसकी भयानक सजा मिलती है. इसलिए पाप कर्म भले ही छोटा है, लेकिन करने से बचना चाहिए. 


स्वामी यानी मालिकः अपने मालिक को कभी नाराज करने की गलती नहीं करनी चाहिए. यदि आप अपने मालिक को छोटा समझते हैं तो आप बहुत गलत हैं. क्योंकि अगर मालिक नाराज हो जाए तो वह आपका बड़ा नुकसान कर सकता है.


सांपः सांप दिखने में चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, लेकिन अगर वह काट ले तो उसके विष से मृत्यु हो सकती है. कई बार सांप पकड़ने वाले ही सांप का शिकार बन जाते हैं. क्योंकि उन्हें यही लगता है कि हमेशा की तरह वे सांप को अपने वश में कर लेंगे.



उनकी यही सोच कई बार उनकी जान की दुश्मन बन जाती है. इसलिए सांप को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए. 


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