नई दिल्ली: 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री अयोध्या पहुंचेंगे और इस दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सिद्ध मंदिर से लेकर दिल्ली के अलग अलग मंदिरों की मिट्टी से भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न होगा. आपको बताते हैं कि वो कौन-कौन से मंदिर हैं?


इन मंदिरों की मिट्टी से भूमि पूजन


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शारदा पीठ मंदिर, PoK  
सिद्ध पीठ, कालकाजी दिल्ली 
प्राचीन पांडव कालीन भैरों मंदिर, पुराना किला 
गौरी शंकर मंदिर, चांदनी चौक
दिगंबर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक
प्राचीन काली माता मंदिर, दिल्ली
लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली
भगवान वाल्मीकि मंदिर, दिल्ली
बद्री भगत झंडेवालन मंदिर, करोल बाग


अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो, ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 वर्षों का संकल्प था. राम मंदिर आंदोलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ अग्रणी भूमिका निभाई थी. 5 अगस्त को अब वो ऐतिहासिक पल करीब है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने हाथों से भूमि पूजन करेंगे और इसके साथ ही नये भारत में नये राम युग का आरंभ हो जाएगा.


5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन


5 अगस्त को प्रधानमंत्री भूमि पूजन के लिए अयोध्या पहुंच सकते हैं, भूमि पूजन का कार्यक्रम अभिजित मूहूर्त में होगा. इसी अभिजित मूहूर्त में त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था.


मान्यता है कि अभिजित मुहूर्त में किए जाने वाले सभी कार्य सफल होते हैं. इस मुहूर्त को आठवां मुहूर्त भी कहा जाता है.


40 किलो चांदी की ईंट श्रीराम शिला को होगी समर्पित


5 अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास लगभग 40 किलो चांदी की ईंट श्रीराम शिला को समर्पित करेंगे. पीएम नरेन्द्र मोदी इस शिला का पूजन करके इसे स्थापित करेंगे. 5 अगस्त को 3.30 फीट गहरी भूमि में चांदी की पांच शिलाएं रखी जाएंगी, जो 5 नक्षत्रों का प्रतीक होंगी.


इसके अलावा, देश के अलग अलग मंदिरों से, नदियों से पवित्र मिट्टी और जल भी भूमि पूजन के लिए लाया जाएगा. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से पांच विद्वानों को निमंत्रण भेजा गया है. काशी विद्वत परिषद से 3 ज्योतिषी और 2 संतो की निगरानी में अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि का पूजन संपन्न होगा.


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काशी विद्युत परिषद के ज्योतिषी अयोध्या में चांदी के बेलपत्र और मां गंगा की मिट्टी साथ ले जाएंगे और वाराणसी से पूजा अर्चना के लिए चन्दन ले जाने की भी तैयारी है.


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