श्रीरामचरित मानस के वह छंद जो महादेव की महिमा बताते हैं
जो भक्त बिल्कुल भाव से प्रभु के प्रति समर्पित होता है, प्रभु श्रीराम उस पर भी कृपा करते हैं. लेकिन रामचरित मानस अकेले श्रीहरि या श्रीराम की कृपा पाने का साधन नही है, बल्कि इसके श्रवण व मनन से महादेव भी प्रसन्न होते हैं.
नई दिल्लीः भक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने लोक-समाज को श्रीरामचरित मानस के रूप में बड़ा अनुपम उपहार दिया है. मनुष्यता के निर्माण, सामाजिक संरचना और इसकी व्यवस्था को बनाए रखने में यह काव्य ग्रंथ अग्रणी है. श्रीराम व उनके परिवार के जीवन दर्शन में अमृतमय सीख तो मिलती ही है,
साथ ही जो भक्त बिल्कुल भाव से प्रभु के प्रति समर्पित होता है, प्रभु श्रीराम उस पर भी कृपा करते हैं. लेकिन रामचरित मानस अकेले श्रीहरि या श्रीराम की कृपा पाने का साधन नही है, बल्कि इसके श्रवण व मनन से महादेव भी प्रसन्न होते हैं. उनके रुद्रावतार भगवान की सेवा करते हैं. इसी के साथ मानस में ऐसे कई दोहे-चौपाई व छंद हैं जिन में महादेव की महिमा का वर्णन है.
महादेव ही प्रथम गुरु हैं
मानस में एक श्लोक है, "वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु , शंकर रूपिणम, यमाश्रितो हि वक्रोपि , चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते. इस श्लोक का तात्पर्य हैं शिव ही गुरु हैं. वही हैं जो अज्ञान का अंधकार मिटाकर ज्ञान का पथ प्रकाशित करते हैं.
शिव गुरु रूप में अग्नि हैं, जो सभी कुछ पवित्र कर देती है. साथ ही प्रकाश का स्त्रोत भी बनती है.
महाशिव हर मंत्र को करते हैं सफल
मानस की प्रसिद्ध चौपाई है कि महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू."
मानस के अनुसार जब भी आप मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हों उसके पहले यह दोहा पढना चाहिए. इससे शिव जी की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली भी.
हर विपत्ति हर लेते हैं महादेव
भगवान शिव को समर्पित एक चौपाई है "संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा. इस चौपाई का तात्पर्य है कि हे महाशिव आप हर प्रकार से समर्थ और सक्षम हैं. इसलिए इस विवाह को कल्याण कारी बनुाएं. जब संतान के दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तब इस चौपाई का प्रभाव अचूक होता है.
यदि कोई श्रद्धालु नित्य प्रातः शिव जी के समक्ष इस दोहे का 108 बार जाप करें , फिर अपने संतान के सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें.
ग्रह-नक्षत्रों के कष्ट हरते शिव
इसी तरह एक और चौपाई में तुलसी महाराज ने भगवान शिव की महिमा का बखान किया है. वह चौपाई लिखते हैं कि जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी. इसका तात्पर्य है कि जो भी कुंवाई कन्या तुम्हारा तप करती है, महादेव उसके सार ग्रह-नक्षत्रों के कष्टों को हर लेते हैं.
अगर जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह चौपाई अत्यंत फलदायी होता है.
इसे चारों वेला कम से कम 108 बार पढने से भाग्य का चक्र भी बदल सकता है.
एकाग्रचित्त का वरदान देते हैं शिव
बालकांड में चौपाई है कि "तव सिव तीसर नयन उघारा , चितवत कामु भयऊ जरि छारा" इस चौपाई में कामदेव के भस्मीभूत होने का जिक्र है. काम के बाड़ों से आहत शिव क्रोध में तीसरी नेत्र खोल देते हैं और कामदेव भस्म हो जाते हैं. जीवन में अगर मन भटकता हो और बहुत चंचल हो तो यह चौपाई लाभकारी होती है.
रोजगार की समस्या होगी दूर
एक और चौपाई में तुलसीदास ने महादेव शिव को जगत का स्वामी कहा है. वह लिखते हैं कि बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी , त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी" शिव सकल पृथ्वी के स्वामी हैं और उनकी महिमा तीनों लोगों में गाई जा रही है.
अगर आर्थिक समस्याएँ ज्यादा हों या रोजगार की समस्या हो तो इस दोहे का जाप करना चाहिए. प्रातः और रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष कम से कम 108 बार इस चौपाई का जाप करना चाहिए.
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