आखिर क्यों बॉक्सिंग छोड़ वेटलिफ्टर बने जेरेमी लालरिननुंगा, कॉमनवेल्थ से पहले ओलंपिक में भी रचा है इतिहास
बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स में रविवार को भारतीय वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिननुंगा ने 300 किग्रा का वजह उठाकर भारत के लिये 67 किग्रा का गोल्ड मेडल जीत लिया.
Jeremy Lalrinnunga CWG 2022: बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स में रविवार को भारतीय वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिननुंगा ने 300 किग्रा का वजह उठाकर भारत के लिये 67 किग्रा का गोल्ड मेडल जीत लिया. इस जीत के साथ ही जेरेमी ने अपने पहले ही कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया और 300 किग्रा का वजन उठाने का रिकॉर्ड भी बना डाला. उनके इस पदक के साथ ही भारत ने अपना दूसरा गोल्ड मेडल भी जीत लिया.
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब जेरेमी ने ऐसा कारनामा कर के दिखाया हो, उनके नाम देश का पहला यूथ चैम्पियन बनने का गौरव भी दर्ज है. जेरेमी लालरिननुंगा ने महज 15 साल की उम्र में ही वेटलिफ्टिंग का गोल्ड मेडल यूथ ओलंपिक्स में जीता था और ओलंपिक्स गेम्स में जो सम्मान अभिनव बिंद्रा के नाम है यूथ ओलंपिक्स में वो अपने नाम कर लिया.
यूथ ओलंपिक्स में भी भारत के लिये जीता है गोल्ड
जहां अभिनव बिंद्रा ने यह कारनामा साल 2008 में किया था तो वहीं पर जेरेमी ने 2018 में इस कारनामे को कर के दिखाया था. मिजोरम के रहने वाले जेरेमी यूथ ओलंपिक्स के बाद पहली बार किसी बड़े खेल गेम्स का हिस्सा बने थे और पहले ही मल्टीनेशनल गेम्स में देश के लिये गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
जेरेमी ने अपने पहले ही प्रयास में 136 किग्रा और दूसरे प्रयास में 140 किग्रा का भार उठाकर सभी प्रतियोगियों को पीछे छोड़ दिया. अपने दूसरे प्रयास से ही जेरेमी ने कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ दिया और सबसे ज्यादा भार उठाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. जेरेमी ने अपने तीसरे प्रयास में 143 किग्रा का भार उठाया लेकिन वो इसे वैलिड नहीं करा सके.
चोटिल होने के बाद भी नहीं मानी हार
वहीं क्लीन एंड जर्क कैटेगरी में जेरेमी ने अपने पहले प्रयास में 160 किग्रा का भार उठाने वाले थे लेकिन वो 154 किग्रा के लिये गये और दर्द के चलते पूरा नहीं कर सके. दूसरे प्रयास में उन्होंने 160 किग्रा उठाया लेकिन यहां पर भी वो दर्द से कराहते नजर आ रहे थे. अपने आखिरी प्रयास में 165 किग्रा उठाने की कोशिश की लेकिन चोटिल हो गये. वहीं पर सामोअन खिलाड़ी के तीसरे प्रयास में विफल होने के साथ ही भारत का दूसरा गोल्ड मेडल पक्का हो गया.
इस वजह से बॉक्सिंग छोड़ वेटलिफ्टिंग को चुना
गौरतलब है कि जेरेमी शुरुआत में एक बॉक्सर के रूप में प्रशिक्षण ले रहे थे लेकिन एक दिन जब उन्होंने अपने कुछ दोस्तों को वेटलिफ्टिंग करते देखा तो उन्होंने इसे ही करियर के रूप में चुन लिया.
एक पुराने इंटरव्यू में जेरेमी ने बताया था कि मेरे पिता बॉक्सर रहे हैं, वो हमारे गांव की एसवाईएस एकाडमी में सिखाते हैं. वहां पर मैंने अपने दोस्तों को वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग लेते हुए देखा और मुझे लगा कि यह ताकत का असली खेल है और मुझे इसे करना चाहिये. इसके बाद साल 2011 में जब आर्मी स्पोर्टस इंस्टीट्यूट के ट्रॉयल्स हुए तो मैंने वहां पर ट्रायल दिये और सेलेक्ट होने के साथ ही मेरा वेटलिफ्टिंग का करियर शुरू हो गया.
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