बुमराह के अंदर टेस्ट को लेकर कैसी थी दीवानगी, दिग्गज ने किया हैरान करने वाला खुलासा
शास्त्री ने ‘द टाइम्स’ के लिए लिखने वाले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन को दिए एक साक्षात्कार में बुमराह के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया जिसमें इस तेज गेंदबाज ने उनसे कहा था कि टेस्ट खेलना उनकी जिंदगी का ‘सबसे बड़ा दिन’ होगा.
नई दिल्लीः भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री जानते थे कि जसप्रीत बुमराह टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए बेताब थे क्योंकि यह तेज गेंदबाज खुद को ‘सफेद गेंद विशेषज्ञ’ के तौर पर बुलाना पसंद नहीं करता था. बुमराह आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहने वाले पहले भारतीय तेज गेंदबाज हैं. विशाखापत्तनम टेस्ट में जीत से भारत को श्रृंखला में 1-1 से बराबरी दिलाने वाले मुकाबले में उन्होंने 91 रन देकर नौ विकेट झटके.
जानें क्या बोले रवि शास्त्री
इससे यह 30 साल का खिलाड़ी सबसे तेज 150 टेस्ट विकेट हासिल करने वाला भारतीय बन गया. शास्त्री ने ‘द टाइम्स’ के लिए लिखने वाले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन को दिए एक साक्षात्कार में बुमराह के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया जिसमें इस तेज गेंदबाज ने उनसे कहा था कि टेस्ट खेलना उनकी जिंदगी का ‘सबसे बड़ा दिन’ होगा. शास्त्री ने याद करते हुए कहा, ‘‘मुझे कोलकाता में उनसे पहली बातचीत याद है जिसमें मैंने उनसे पूछा था कि क्या उन्हें टेस्ट क्रिकेट में दिलचस्पी है? तब उसने कहा था कि यह उसके जीवन का सबसे बड़ा दिन होगा.’’
कहा- टेस्ट का सफल गेंदबाज बनना था
उन्होंने कहा, ‘‘उससे बिना पूछे ही उसे सफेद गेंद का विशेषज्ञ करार दे दिया गया. लेकिन मैं जानता था औरदेखना चाहता था कि उसमें टेस्ट खेलने को लेकर कितनी भूख है. मैंने उससे कहा, तैयार रहो. मैंने उसे कहा कि मैं उसे दक्षिण अफ्रीका में खिलाने जा रहा हूं.’’ बुमराह ने जनवरी 2018 में केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना टेस्ट पदार्पण किया.
शास्त्री ने कहा, ‘‘वह टेस्ट क्रिकेट में खेलने और अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर बहुत उत्साहित है. ’’ पूर्व मुख्य कोच ने मुंबई इंडियंस के लिए इंडियन प्रीमियर लीग में बुमराह के शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें सिर्फ सफेद गेंद का विशेषज्ञ मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘वह विराट कोहली के साथ टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए बेताब था. वह जानता है कि कोई भी सफेद गेंद के औसत को याद नहीं रखता है. लोग सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में आपके नंबर हमेशा याद रखेंगे. ’’ वर्ष 2014 में राष्ट्रीय टीम निदेशक की भूमिका निभाने के बाद मुख्य कोच बने शास्त्री ने अपने कार्यकाल में व्यक्तिगत प्रतिभा के बजाय टीम प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया.
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