Lawn Ball History: बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय दल पहली बार लॉन बॉल के खेल में पदक जीतने वाला है. झारखंड से इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व करने पहुंची पिंकी, लवली चौबे, नयनमोनी सैकिया और रूपा रानी टिर्की ने महिलाओं की 4 लॉन बॉल टीम के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है. भारतीय महिला टीम के फाइनल में पहुंचते ही इस खेल का सिल्वर पदक तय हो गया है और इसे गोल्ड में तब्दील करने के लिये उसने फाइनल में साउथ अफ्रीका को मात दी.


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भारतीय महिला टीम ने सोमवार को खेले गये सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड की टीम को 16-13 से हराकर इतिहास रचा और पहली बार इन खेलों में पदक जीतने का कारनामा किया. तो वहीं पर फाइनल मैच में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 17-10 से जीत हासिल कर देश को इन खेलों में पहला गोल्ड दिलाया. भारतीय महिला टीम के इतिहास रचने के बाद से अचानक ही इस खेल की लोकप्रियता बढ़ गई है और लोगों के बीच इस खेल के प्रति रूचि भी बढ़ गई है कि आखिर यह खेल क्या है और इसे कैसे खेला जाता है.


क्या हैं खेल के नियम


इस गेम को खेलने के लिये जो सबसे जरूरी है वो है गेंद. इस यह एक आउटडोर खेल होता है जिसमें घास के मैदान पर कुछ गेंदे रखी जाती हैं और खिलाड़ियों को बारी-बारी से एक निश्चित दूरी से अपनी गेंद को उस बॉल के पास पहुंचाने की कोशिश करनी होगी है. जिस गेंद पर निशाना लगाया जाता है उसे जैक कहते हैं. जैक और खिलाड़ियों के बीच की दूरी को मैच शुरू होने के बाद तय किया जाता है. यह दूरी जैक को फेंकने से तय होती है जिसे फेंकने वाली टीम का चयन टॉस से होता है. टॉस हारने वाली टीम जैक को फेंकती है और फिर किस दूरी से गेंद फेंकनी है उसका पता चलता है. 


ऐसे मिलते हैं खिलाड़ियों को प्वाइंट्स


इसके बाद दो प्रतिस्पर्धियों (सिंगल्स, जोड़ी या फिर टीम) के बीच मैदान को दो छोर में बांट दिया जाता है और जैक के चारों ओर को 4 अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित कर दिये जाते हैं, जिन्हें सिंगल्स, पेयर्स, ट्रिपल्स और फोर्स के नाम से जाना जाता है. एक बार में कितनी गेंद फेंकी जा सकती है या गेम के प्रारूप (सिंगल्स, जोड़ी या फिर टीम)  पर निर्भर करता है कि वो कैसे खेला जा रहा है.


सिंगल्स प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को शुरुआत में 4 मौके मिलते है जबकि टीम के हर सदस्य को प्रति छोर से 2-2 मौके दिये जाते हैं. जो भी खिलाड़ी गेंद को जैक के सबसे करीब फेंकता है उसे बारी के अंत में अंक दे दिया जाता है. एक खिलाड़ी की टीम से जितने खिलाड़ी जैक के करीब होते हैं उसे उतने ही अंक मिलते जाते हैं, तो अगर टीम ए ने टीम बी के मुकाबले 2 बार ज्यादा जैक के करीब गेंद फेंकी और टीम ए को 2 अंक मिल जायेंगे.


मैच के अंत में सभी अंकों को जोड़ा जाता है और जिस टीम के पास ज्यादा अंक होते हैं वो विजेता घोषित कर दिया जाता है. सिंगल्स के प्रारूप में जो खिलाड़ी सबसे पहले 21 अंक तक पहुंचता है उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. जबकि टीम इवेंट और बड़े मुकाबलों में यह संख्या 18 है.


कॉमनवेल्थ गेम्स में लॉन बॉल का इतिहास


बहुत सारे फैन्स को यह जानकर हैरानी होगी कि लॉन बॉल्स कॉमनवेल्थ गेम्स में 1930 से ही खेले जा रहे हैं और इंग्लैंड की टीम ने सबसे ज्यादा बार (51) इसमें पदक जीतने का कारनामा किया है. वहीं पर ऑस्ट्रेलिया (50) और साउथ अफ्रीका (44) की टीम भी इस लिस्ट में शामिल है. स्कॉटलैंड और इंग्लैंड की टीम के पास सबसे ज्यादा लॉन बॉल के गोल्ड मेडल (20) जीतने का सम्मान है.


भारत की बात करें तो वो एशिया में खेले जाने वाले बड़े टूर्नामेंट में लगातार लॉन बॉल में अच्छा प्रदर्शन करता रहा है और लगभग हर बार एशियन और एशियन पैसिफिक टूर्नामेंट का चैम्पियन बना है. हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स के इतने सालों के इतिहास में वो कभी भी कोई पदक नहीं जीत पाया है. भारत ने इस साल के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इन खेलों में साल 2010, 2014 और 2018 में भी हिस्सा लिया था और दो बार सेमीफाइनल में भी पहुंचे हैं. हालांकि दोनों बार (2010 और 2014) हार के चलते चौथे पायदान पर खत्म किया है. 


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