IND vs AUS: क्रिकेट के इतिहास में भारत-पाकिस्तान के बीच की राइवलरी के बाद किन्हीं दो टीमों के बीच होने वाली सीरीज की राइवलरी को सबसे ज्यादा महत्व मिलता है तो वो है एशेज, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलती हैं. हालांकि पिछले 75 सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी ने भी एक खास पहचान बना ली है और पिछले एक दशक में इसने एशेज से भी ज्यादा दर्शक बटोरे हैं. पिछले 75 सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच राइवलरी काफी बढ़ चुकी है और 9 फरवरी को नागपुर के मैदान पर जब एक बार फिर से इस सीरीज का आगाज होगा तो सभी की निगाहें इस राइवरी पर होंगी.


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भारतीय टीम पिछले 3 बार से लगातार इस सीरीज को अपने नाम कर रही है जिसमें से 2 बार उसने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर पर हराया है, वहीं पर ऑस्ट्रेलिया की टीम पिछले 19 सालों से भारत को उसकी सरजमीं पर नहीं हरा पाई है. इससे पहले भी जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत में मैच खेले तो कुछ बेहतरीन मैचों के आंकड़े किसी न किसी तरह काफी दिलचस्प रहे हैं. आइये एक नजर उन आंकड़ों पर डालते हैं-


जानें कैसे हैं भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के हेड टू हेड आंकड़े


भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1947-48 में पहला टेस्ट मैच खेला गया था जिसके बाद से अब तक दोनों देशों के बीच 27 टेस्ट सीरीज खेली जा चुकी है जिसमें ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 12 अपने नाम की हैं तो वहीं भारतीय टीम ने 10 बार कंगारुओं को धूल चटाई है. इस दौरान 5 टेस्ट सीरीज ड्रॉ भी रही हैं. भारत ने इस दौरान 14 बार सीरीज की मेजबानी की है और 8 बार जीत हासिल की है तो वहीं पर कुल 4 बार हार का सामना करना पड़ा है. इस दौरान 2 सीरीज ड्रॉ भी रही हैं. दोनों टीमों के बीच अब तक कुल 102 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं जिसमें से भारतीय टीम ने 30 जीत तो वहीं पर ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 43 मैचों में जीत हासिल की है. इस दौरान 28 मैच ड्रॉ तो वहीं पर एक मैच टाई भी रहा है.


हरभजन की हैट्रिक, लक्ष्मण की ऐतिहासिक पारी


ऑस्ट्रेलिया ने भारत को आखिरी बार 2004-05 में खेली गई टेस्ट सीरीज में 2-1 से हराया था और 1969 के बाद पहली बार भारतीय सरजमीं पर टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की थी. लेकिन यह पहली बार नहीं था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत को उसी की सरजमीं पर धूल चटाने के करीब थी. ऑस्ट्रेलिया की टीम ने साल 2001 में खेली गई टेस्ट सीरीज के पहले मैच में 10 विकेट हासिल की थी और ऐसा लग रहा था कि 1969-70 के बाद भारत में पहली बार श्रृंखला जीत जाएगी. हालांकि वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने 376 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाकर और हरभजन सिंह ने 13 विकेट झटककर अपनी टीम को जीत दिलायी. 


युवा हरभजन सिंह की हैट्रिक के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाये और मेजबान भारत को 171 रन पर समेटकर फॉलो ऑन दे दिया. दूसरी पारी में चार विकेट पर 232 रन के स्कोर भारत को किसी चमत्कार की दरकार थी जो लक्ष्मण और द्रविड़ ने 376 रन की भागीदारी निभाकर किया और टीम ने सात विकेट पर 657 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया. 384 रन के असंभव लक्ष्य का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम हरभजन के 13 विकेट से 212 रन पर सिमट गयी. ईडन गार्डन्स पर इस प्रदर्शन के बाद लक्ष्मण, द्रविड़ और हरभजन महान खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो गये. 


1986, खराब अंपयारिंग के चलते खत्म हुआ करियर


वर्ष 1986 में हुई श्रृंखला में मद्रास टेस्ट ‘टाई’ पर छूटा जिसमें दिवंगत डीन जोंस ने काफी मुश्किल हालात में दोहरा शतक जड़ा जबकि अंपायर विक्रमराजू को विवादास्पद LBW फैसले के कारण अपना करियर गंवाना पड़ा. भारत को 348 रन का लक्ष्य मिला था और बायें हाथ के स्पिनर रे ब्राइट ने तीन विकेट झटककर ऑस्ट्रेलिया को वापसी करायी जिससे क्रीज पर जमे रवि शास्त्री और 11वें नंबर के मनिंदर सिंह को अंत में जीत के लिये चार रन बनाने थे. पर आफ स्पिनर ग्रेग मैथ्यूज (मैच में 10 विकेट झटकने वाले) मनिंदर को LBW आउट किया लेकिन भारतीय बल्लेबाज को पूरा भरोसा था कि वह आउट नहीं थे लेकिन अंपायर ने फैसला दिया था और टेस्ट इतिहास में दूसरी बार एक मैच ‘टाई’ रहा था. 


विक्रमराजू को इसके बाद फिर टेस्ट अंपायरिंग का मौका नहीं मिला. वहीं जोंस की बेहद गर्मी में खेली गयी 210 रन की पारी उनके करियर की सबसे अहम बन गयी. इस पारी के दौरान वह बीमार हो गये और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा. 


1969 में खराब अंपायरिंग ने फैन्स को दिलाया गुस्सा, भारत हारा


ब्रेबोर्न स्टेडियम में भारतीय टीम 1969 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में दूसरी पारी में सात विकेट पर 89 रन बनाकर मुश्किल में थी और उसे मैच बचाने के लिये किसी चमत्कार की जरूरत थी. अजीत वाडेकर और श्रीनिवास वेंकटराघवन क्रीज पर थे. दोनों के बीच आठवें विकेट की साझेदारी बन रही थी लेकिन अंपायर शंभु पान ने वेंकटराघवन को विकेट के पीछे कैच आउट का विवादास्पद फैसला किया और यह भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट इतिहास के सबसे डरावनी घटनाओं में जुड़ गया. रेडियो कमेंटेटर देवराज पुरी ने इस फैसले की काफी आलोचना की जिससे टीम का स्कोर आठ विकेट पर 114 रन हो गया. 


इससे दर्शकों का व्यवहार उग्र हो गया और उन्होंने स्टेडियम में कुर्सियां पटकनी शुरू कर दीं, स्टेडियम में पेय पदार्थों की खाली बोतलें फेंक दी. फिर स्टैंड में आग की लपटें देखकर खिलाड़ी भी भयभीत हो गये. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट लेखकर रे रॉबिन्सन सीसीआई के प्रेस बॉक्स में थे, उन्होंने अपनी आंखों देखी इस हिंसा का जिक्र अपनी किताब ‘द वाइल्डेस्ट टेस्ट’ में किया है. स्टेडियम में ऐसे हालात के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बिल लॉरी खेलना चाहते थे और भारत ने चौथे दिन का समापन नौ विकेट पर 125 रन से किया. पांचवें दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 64 रन का लक्ष्य दिया जिसे उसने दो विकेट गंवाकर हासिल कर लिया और पांच मैचों की श्रृंखला में 1-0 से बढ़त बना ली और अंत में सीरीज 3-1 से जीती. 


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