नई दिल्लीः Mangalwar Ke Upay: आज (18 अप्रैल) मंगलवार है. हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार मंगलवार का दिन पवनसुत हनुमान को समर्पित है. मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह से भी है. हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंगलवार के दिन का बहुत महत्व बताया गया है. मंगल को ऊर्जा का कारक माना जाता है. जब मनुष्य परेशानी या संकट में घिरा में होता है, तो उसकी ऊर्जा में लगातार ह्रास होता है. 


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हर कष्ट दूर करते हैं बजरंगबली
मान्यता के मुताबिक इस दिन अगर भगवान हनुमान की सच्चे मन से पूजा-अर्चना की जाए, तो हम अपने दैनिक जीवन में होने वाली कई सारी परेशानियों से आसानी से बच सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं, मंगलवार के दिन भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के कुछ उपायों के बारे में. 
 
मंगलवार के उपाय
इस दिन भगवान राम के मंदिर जरूर जाना चाहिए और वहां जाकर हनुमान जी के श्री रूप के मस्तक का सिंदूर दाहिने हाथ के अंगूठे से लेकर सीता माता के श्री रूप के श्री चरणों में लगाने से आपकी हर एक मनोकामना पूरी हो सकती है. 


नकारात्मक शक्तियों का होता है खात्मा
शनिवार या मंगलवार के दिन सुबह धागे में चार मिर्च ऊपर और तीन मिर्च नीचे एवं बीच में नींबू पिरोकर घर के मुख्य दरवाजे पर लटकाने से नकारात्मक शक्तियों का खात्मा होता है. 


नजर लगने पर करें ये काम
इस दिन काले तिल, जौ का आटा और तेल मिलाकर आटा गूंथ लें. इसके बाद इस आटे से एक रोटी बनाकर उस पर तेल और गुड़ लगाकर घर में जिस व्यक्ति की नजर लगी हो उस पर से सात बार उतारकर भैंस को खिलाए. 


रोने वाले बच्चों के लिए करें ये उपाय
अगर घर में छोटा बच्चा अधिक रोता है, तो रविवार या मंगलवार के दिन नीलकंठ का पंख लेकर बच्चा जिस पलंग पर सोता हो उसमें लगा दें. ऐसा करने से बच्चा बहुत जल्द रोना बंद कर देता है. 
 
बच्चे के सिरहाने रखे फिटकरी का टुकड़ा
अगर आपका बच्चा सोते समय डर जाता है तो इस दिन फिटकरी का एक टुकड़ा उस बच्चे के सिरहाने रख दें. ऐसा करने से बच्चा बहुत जल्द डरना बंद देगा. 


आर्थिक तंगी से ऐसे पाएं छुटकारा
मान्यता है कि इस दिन हनुमानजी को पीपल के पत्ते चढ़ाने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है. मंगलवार के दिन बजरंगबली को पीपल के 11 अखंडित पत्ते अर्पित करना चाहिए. आप इन पत्तों का माना बनाकर भी अर्पित कर सकते हैं. 


 इस मंत्र का करें जाप 
ॐ हं हनुमते नम:
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ 
ॐ अंजनिसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति प्रचोदयात्। 


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