नई दिल्लीः दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज शॉन पोलॉक का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘प्रासंगिकता और प्रतिस्पर्धा’ बनाए रखने की जरूरत है ताकि इतने ज्यादा मैचों के बीच खेल की कशिश बनी रहे. केन विलियमसन, ग्रीम स्मिथ और स्टीव वॉ भी अतीत में मैचों की शेड्यूलिंग में संतुलन की मांग कर चुके हैं. 


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शॉन पोलॉक ने कही बड़ी बात
शॉन पोलॉक ने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि मैच की प्रासंगिकता, स्तर और प्रतिस्पर्धा सबसे अहम चीज है.  मिसाल के तौर पर गोल्फ में मास्टर्स बेहतरीन टूर्नामेंट है क्योंकि यह साल में एक ही बार होता है. विम्बलडन भी. यहां आप लगातार क्रिकेट खेलते ही जा रहे हैं. इतना कि यह बैकग्राउंड संगीत हो गया है, मुख्य सीडी नहीं रह गया.’ 


केवल मनोरंजन के लिए है टी20 क्रिकेट
शॉन पोलॉक को टी20 क्रिकेट का मनोरंजन पसंद है लेकिन उनका मानना है कि बल्ले और गेंद में अच्छी प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि टी20 क्रिकेट खालिस मनोरंजन है, जिसमें क्रिकेट का पुट है लेकिन यह आपकी क्षमता को परखने की सही कसौटी नहीं है. लोगों को यह पसंद है. कभी कुछ फुर्तीला प्रदर्शन, कुछ बल्लेबाजी, कुछ गेंदबाजी मजेदार लगती है लेकिन हमेशा इस स्तर की प्रतिस्पर्धा नहीं होती.’ 


शॉन पोलॉक ने आगे कहा, ‘आंकड़े बताते हैं कि गेंदबाज कितनी गेंदबाजी कर रहे हैं. जैसे भारतीय गेंदबाज सिर्फ आईपीएल खेल सकते हैं लेकिन हमारे गेंदबाज कहीं भी खेल सकते हैं. वे इतना अधिक क्रिकेट खेल रहे हैं.’ 


'इंडिया के पास पहले भी थे अच्छे गेंदबाज'
भारतीय तेज गेंदबाजी में आए परिवर्तन पर बोलते हुए पोलॉक ने कहा, ‘आपके पास कुछ शानदार गेंदबाज पहले भी थे. मुझे लगता है कि जवागल श्रीनाथ को वह श्रेय नहीं मिला, जिसके वह वास्तव में हकदार थे. इसके बाद वेंकटेश प्रसाद और फिर डोडा गणेश. अब आपके पास करीब चार तेज गेंदबाज हैं और एक के चोटिल होने पर दूसरा उसकी जगह ले सकता है. कपिल देव या मनोज प्रभाकर के समय ऐसा नहीं था.’


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