सौरव गांगुली और शास्त्री की `लड़ाई` का 15 साल पुराना वो किस्सा, जो अब तक नहीं भूले BCCI के बॉस
एक बातचीत के दौरान पूर्व भारतीय ऑलराउंडर ने रवि शास्त्री ने सौरव गांगुली के साथ अपनी मुलाकातों को याद करते हुए बात की थी और कहा था कि मुझे कोई उनके साथ समस्या नहीं दिख रही है. केवल घटनाएं और आप उन घटनाओं पर प्रतिक्रिया करते हैं.
नई दिल्ली: रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के बीच आपसी अदावत किसी से छिपी नहीं है. एक क्रिकेटर से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष बनने तक के सौरव गांगुली के सफर में कई पड़ाव आए जब उनका रवि शास्त्री के साथ टकराव हुआ. टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया जब 15 साल पहले उनकी गांगुली से नाराजगी खुलकर सामने आ गई थी.
बिना गांगुली के लिए बस लेकर चले गए थे शास्त्री
2007 में भारत के बांग्लादेश दौरे पर रवि शास्त्री टीम इंडिया के टूर मैनेजर थे. उन्होंने एक शो में वाकया शेयर करते हुए कहा कि टीम बस को 9 बजे प्रैक्टिस के लिए निकलना था लेकिन सौरव गांगुली लेट हो गए. उनका एक मिनट भी इंतजार किए बिने रवि शास्त्री टीम बस लेकर निकल गए.
इसके बाद जब कभी हमें प्रैक्टिस के लिए निकलना होता था, सौरव उससे 10 मिनट पहले ही पहुंच जाते थे. हालांकि ये अपमान गांगुली अब तक नहीं भूले. उन्होंने टीम इंडिया की कई सालों तक कप्तानी की थी, फिर भी उनका 5 मिनट इंतजार नहीं किया गया और उन्हें अकेला छोड़ दिया गया. इस पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की थी.
गांगुली और शास्त्री में कई सालों चली आ रही तकरार
सौरव गांगुली और रवि शास्त्री के बीच तकरार की सालों से चली आ रही है. हाल ही में कोच शास्त्री को हटाकर गांगुली ने राहुल द्रविड़ की नियुक्ति कर दी. इससे पहले 2016 में जब सौरव गांगुली क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य थे तब उन्होंने शास्त्री के बजाय अनिल कुंबले को कोच नियुक्त कर दिया था. तब शास्त्री ने भी कोच पद के लिए आवेदन दिया था.
सौरव गांगुली भी कई बार रवि शास्त्री पर तंज कर चुके हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में साफ कहा था कि यदि किसी को शास्त्री से बात करनी है तो उसे ये काम थोड़ा लेट करना चाहिए. क्योंकि जब वे सोकर उठेंगे तब तक उनका हैंगओवर नहीं उतरा होगा.
एक बातचीत के दौरान पूर्व भारतीय ऑलराउंडर ने रवि शास्त्री ने सौरव गांगुली के साथ अपनी मुलाकातों को याद करते हुए बात की थी और कहा था कि मुझे कोई समस्या नहीं दिख रही है. केवल घटनाएं और आप उन घटनाओं पर प्रतिक्रिया करते हैं.
गांगुली भी उनकी तरह क्रिकेटर है और दोनों के ही पास खेल को समझने का अपना नजरिया है. कई बार इन नजरियों में सहमति या असहमति हो सकती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसको मतभेद का नाम दिया जाए.
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