Sunil Gavaskar: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे पहले 10 हजार रन बनाने वाले सुनील गावस्कर ने अपने करियर में 13,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाये और भारत के महानतम बल्लेबाजों में अपना नाम लिख दिया. भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी कई मौकों पर कहा है कि उन्हें क्रिकेट के खेल की प्रेरणा देने वालों में सुनील गावस्कर की बल्लेबाजी और 1983 विश्वकप की जीत शामिल है.


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गावस्कर ने खोला 13 हजारी बनने का राज


ऐसे में कोई भी खिलाड़ी सुनील गावस्कर के नक्शे कदम पर चलकर स्वर्णिम अक्षरों में लिखवाने की चाहत रखता है. हालांकि अब खुद सुनील गावस्कर ने अपने 13 हजार रन बनाने का राज खोल दिया है और बताया कि जब भी वो बल्लेबाजी करने जाते थे उस समय कभी स्कोर बोर्ड की तरफ नहीं देखते थे. गावस्कर ने बताया कि बल्लेबाजी के दौरान वो क्रीज पर कभी भी पहले से कोई टारगेट सोच कर नहीं उतरते थे क्योंकि क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप टेस्ट में उनका उद्देश्य हमेशा सेशन दर सेशन बल्लेबाजी करना था, खेल की शुरुआत से लेकर स्टंप तक. 


टेस्ट क्रिकेट में कैसे सफल बने गावस्कर


एबीपी ग्रुप द्वारा आयोजित एक आईटी कार्यक्रम इंफोकॉम 2022 के दौरान गावस्कर ने ‘स्पॉटलाइट सेशन’ में कहा, ‘जब मैं बल्लेबाजी कर रहा होता था तो मैं कभी स्कोरबोर्ड नहीं देखता था क्योंकि प्रत्येक बल्लेबाज का लक्ष्य निर्धारित करने का अपना तरीका होता है. छोटे लक्ष्य वो होते हैं जो कोच आपको सबसे पहले बताते हैं. 10, 20 और 30 रन तक पहुंचना, जो एक अच्छा तरीका है. जिस तरह से मैं देख रहा था कि अगर मेरा लक्ष्य 30 तक पहुंचना था तो जब मैं 24-25 के आसपास कहीं भी पहुंच जाता तो मैं बहुत चिंतित होता और 30 रन तक पहुंचने की कोशिश करता. फिर मैं स्टंप से बाहर की गेंद को खेलना, बाउंड्री मारने की कोशिश करता, 26 रन के आसपास आउट हो जाता, उस बाउंड्री को हिट करने की कोशिश में जो मुझे 30 रन पर पहुंचा देती.’


पता ही नहीं चला कि कब की ब्रैडमैन की बराबरी


गावस्कर ने कहा कि विशेष लक्ष्य को हासिल करने के दबाव को कम करने के लिए प्रत्येक गेंद को उसकी मेरिट के आधार पर खेलना चाहिए. एक दिलचस्प किस्सा साझा करते हुए गावस्कर ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्होंने कब सर डॉन ब्रैडमैन के 29वें टेस्ट शतक की बराबरी कर ली क्योंकि उन्हें स्कोर बोर्ड देखने की आदत नहीं थी. 


उन्होंने कहा, ‘जब तक (दिलीप) वेंगसरकर ने आकर मुझे इस उपलब्धि के बारे में नहीं बताया तब तक मुझे कुछ पता नहीं था. मैंने अपने विकेट पर जो इनाम रखा वह हमेशा 100 रन था. मैं हमेशा शतक बनाता चाहता था, मैं कम से कम इतना ही हासिल करना चाहता था... जाहिर तौर पर यह असंभव था, यहां तक ​​कि सर डॉन ब्रैडमैन भी हर पारी में ऐसा नहीं कर सकते थे. तो मेरा पूरा ध्यान सत्र में बल्लेबाजी करना था. पहले सत्र से लंच तक, फिर चाय तक और फिर खेल के अंत तक.’


गावस्कर ने नई दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ 1983 में ब्रैडमैन के 29 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी की. गावस्कर ने कहा कि उनका उद्देश्य हर बार बल्लेबाजी करते हुए शतक बनाना था. 


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