नई दिल्लीः पिछले कुछ साल में भारतीय टीम के अभ्यास सत्र में कई प्रयोग देखने को मिले हैं और अब विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप की तैयारी के लिये टीम रंग बिरंगी रबर गेंदों का इस्तेमाल कर रही है ताकि कैचिंग के दौरान आखिरी मौके पर गेंद के रूख बदलने पर भी कैच लपकने में परेशानी नहीं हो . यहां अभ्यास के दौरान शुभमन गिल को हरी गेंदों से कैच लपकते देखा गया . पीले रंग की भी गेंद थी लेकिन लॉन टेनिस गेंद नहीं थी जो आम तौर पर विकेटकीपर और करीबी क्षेत्ररक्षकों के अभ्यास के लिये इस्तेमाल की जाती है . 


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जानिए क्या है इसके पीछे रणनीति
एनसीए के लिये काम कर चुके एक मशहूर फील्डिंग कोच ने बताया ,‘‘ ये खास तौर पर बनाई गई रबर बेंदें है, वह नहीं जो गली क्रिकेट में इस्तेमाल होती है . इन्हें ‘रिएक्शन गेंद’ कहते हैं और ये इंग्लैंड या न्यूजीलैंड जैसे कुछ खास देशों में अभ्यास के लिये इस्तेमाल की जाती है जहां ठंडी हवा और ठंडा मौसम होता है .’’ हरी गेंद की अहमियत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ किसी खास रंग का कोई वैज्ञानिक या क्रिकेटिया कारण नहीं है .


लेकिन स्लिप के क्षेत्ररक्षकों और विकेटकीपर के लिये रबर की गेंद खास तौर पर कैचिंग के लिये प्रयोग की जाती है .’’ उन्होंने कहा ,‘‘ इंग्लैंड एकमात्र देश है और कुछ हद तक न्यूजीलैंड में भी गेंद बल्लेबाज के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर रूख बदल लेती है जिससे कैच लपकना मुश्किल हो जाता है . ड्यूक गेंद और भी डगमगाती है इसलिये रबर की गेंदों से अभ्यास किया जा रहा है क्योंकि ये अधिक स्विंग लेती हैं या डगमगाती हैं .


टीम इंडिया में करीब 18 महीने बाद वापसी करने वाले सीनियर बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने कहा कि उन्हें गुजरी हुई बातों से कोई लेना देना नहीं है. वह आस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में उसी जज्बे के साथ बल्लेबाजी करना चाहते हैं जैसी उन्होंने आईपीएल में की थी. रहाणे ने भारत के अभ्यास सत्र से इतर बीसीसीआई टीवी से कहा, मैंने 18-19 महीनों के बाद वापसी की है. अच्छा या बुरा जो कुछ भी हुआ, मैं अपने अतीत के बारे में नहीं सोचना चाहता हूं. मैं नए सिरे से शुरुआत करना चाहता हूं और मैंने जो कुछ किया उसे जारी रखना चाहता हूं.


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