नई दिल्ली: बर्मिंघम टेस्ट में टीम इंडिया के लचर प्रदर्शन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. क्रिकेट एक्सपर्ट अपने अपने हिसाब से हार की कारणों की समीक्षा कर रहे हैं. इस भारत के पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता रहे किरण मोरे ने तीसरी पारी में टीम इंडिया द्वारा दिखाई गई आक्रामकता की कमी पर प्रकाश डाला है जो हार की वजह बनी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इंग्लैंड से 7 विकेट से हारी टीम इंडिया


जो रूट और जॉनी बेयरस्टो के शानदार शतकों से इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला के पांचवें और अंतिम टेस्ट मैच में रिकॉर्ड जीत दर्ज की. 378 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए रूट (142) और बेयरस्टो (114) शानदार फॉर्म में थे, उन्होंने 269 रनों की नाबाद साझेदारी की और दो सत्र शेष रहते लक्ष्य का पीछा कर लिया.


तीसरी पारी में टीम इंडिया ने नहीं दिखाई आक्रामकता


पूर्व मुख्य चयनकर्ता मोरे ने कहा कि मैच का नतीजा अलग होता अगर भारत ने पहली पारी में 416 रन बनाने के बाद मिले लाभ को भुनाया होता. मोरे ने कि मुझे लगता है कि उन्होंने (इंग्लैंड) दूसरी पारी में मजबूत वापसी की. तीसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों को प्रतिबंधित करना और चौथी पारी में 378 रन का पीछा करना बहुत सराहनीय था. उन्होंने आगे कहा कि भारत की टीम ने तीसरी पारी में आक्रामकता नहीं दिखाई. अगर भारत अपनी दूसरी पारी में 300 रन बना लेता तो निर्णय अलग होता.


इस जीत के साथ, इंग्लैंड ने 2007 के बाद से इंग्लैंड की धरती पर भारत को अपनी पहली श्रृंखला जीत से वंचित करते हुए श्रृंखला 2-2 से बराबर कर दी. यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में इंग्लैंड का सबसे बड़ा रन चेज था. 


किरण मोरे ने भारतीय गेंदबाजी इकाई में कताई विकल्पों की कमी पर भी प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय गेंदबाज इंग्लैंड की पहली पारी में मंशा दिखाने के बावजूद चौथी पारी में रन प्रवाह को रोकने में नाकाम रहे. उन्होंने कहा कि भारत एक दूसरे स्पिनर से चूक गया, जो रूट और बेयरस्टो द्वारा तेज गेंदबाजों पर आक्रमण करने पर रोक लगा सकता था.


ये भी पढ़ें- तो क्या T20 World Cup में ये भूमिका निभाएंगे रिषभ पंत! पूर्व क्रिकेटर का दावा


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.