नई दिल्लीः महाभारत की कथा हमें बताती है कि जीवन में एक मनुष्य को कैसी परेशानियां आ सकती हैं, उसे उनका डटकर सामना करना होता है. लेकिन कर्तव्य के इस पथ पर धर्म पर विश्वास बनाए रखना जरूरी है. धर्म के सही मार्ग पर चलकर ही भगवान की शरण में पहुंचा जा सकता है. महाभारत हमें ताकत के साथ विनम्र रहना सिखाती है. इससे जुड़ा एक प्रसंग भी है.


वनवास काट रहे थे पांडव


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दरअसल जब पांडव वनवास पर गए थे तो वे जंगल में भटकते-भटकते कैलाश पर्वत के जंगलों में पहुंच गए थे. तब राजा कुबेर कैलाश पर्वत में भी निवास करते थे. कुबेर यक्षों के राजा थे. उनके नगर में फुलों से सुगंधित एक सरोवर था. जब पांडव यहां पहुंचे तो द्रौपदी को उन सुगंधित फूलों की महक आई. उसने भीम से ये फूल लाने को कहा.


वानर को दिखा रहा था बल


जब भीम द्रौपदी के कहने पर फूल लेने गए तो रास्ते में एक वानर लेटा था. उसकी पूंछ फैली थी. चूंकि किसी जानवर को लांघकर जाना मर्यादा के खिलाफ है. ऐसे में भीम ने वानर से पूंछ हटाने को कहा था लेकिन वानर से उसे अनसुना कर दिया था. गुस्साये भीम ने वानर से कहा कि मैं महाबली भीम हूं. इस पर वानर से भीम से कहा कि अगर तुम इतने ताकतवर हो तो मेरी पूंछ खुद ही हटा दो. 


हनुमान जी ने सिखाया सबक


इस पर भीम ने वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की लेकिन वह उसे हिला भी नहीं सका. भीम ने कई प्रयास किए लेकिन अंतिम में जब वह हार गया तो उसने वानर के सामने प्रार्थना की. इसके बाद वानर जो कि स्वयं हनुमान जी थे वे अपने असली स्वरूप में आए. उन्होंने भीम को समझाया कि अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए. ताकत और विनम्रता अगर एक साथ किसी व्यक्ति में आ जाएं तो वह महान बन जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)


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