नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में पीवी सिंधू ने रविवार को चीन की खिलाड़ी ही बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 के अंतर से मात देकर लगातार दूसरी बार ओलंपिक पदक अपने नाम किया. रियो ओलंपिक के खिताबी मुकाबले में स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मरीन से मात खाने वाले पीवी सिंधू ने रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था. वो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. इस कड़ी में सिंधू ने एक और अध्याय जुड़ गया है. वो सुशील कुमार के बाद ओलंपिक खेलों में लगातार दो पदक जीतने वाली दूसरी और पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बन गई हैं. 


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सिंधू ने रियो ओलंपिक में राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की देखरेख में रजत पदक अपने नाम किया था. लेकिन इस बार गोपीचंद पीवी के साथ कोर्ट पर नजर नहीं आए. इस बार मैदान पर सिंधू के साथ थे उनके नए कोच दक्षिण कोरिया के पूर्व खिलाड़ी पार्क ताई सांग. सांग की देखरेख में ही पीवी सिंधू ने कोराना संकट के बीच ओलंपिक खेलों के लिए तैयारी की थी और लगातार दूसरी बार ओलंपिक खेलों में पदक हासिल करने में सफल रहीं.  


रणनीतिक कोच के रूप में है पहचान
पार्क ताई सांग की पहचान एक रणनीतिक कोच के रूप में रही है. उनके साथ ही उन्होंने ओलंपिक पदक का रंग बदलने के लिए कड़ी मेहनत की थी. दोनों की जोड़ी ने हैदराबाद के गाउची बाउली स्टेडियम में कड़ा अभ्यास किया था. सिंधू ने ओलंपिक से पहले एक इंटरव्यू में पार्क की देखरेख में उनके खेल में आए सुधार पर चर्चा की थी. सिंधू ने बताया था कि पार्क ने उनके साथ रणनीतिक तौर पर काम करने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने सबसे ज्यादा काम विरोधी खिलाड़ियों के खेले और रणनीति को समझने में किया जिसका परिणाम ओलंपिक में पदक के रूप में मिला. 


मुश्किल परिस्थिति में वापसी की दी सीख 
पार्क ने सिंधू को मुश्किल और दबाव की स्थिति से बाहर निकालने पर काम किया है. इसी वजह से दोनों की जोड़ी रंग जमा रही है. पुलेला गोपीचंद जहां साइडलाइन पर बेहद शांत नजर आते थे उससे ठीक उलट पार्क वहां बैठकर आक्रामकता दिखाते हैं और सिंधू को भी मॉटीवेट करते हैं. वो हमेशा सलाह के लिए तैयार रहते हैं और आंखों आखों में अपनी सलाह दे जाते हैं जिसका फायदा सिंधू को मिलता है. इसी वजह से सिंधू के टोक्यो ओलंपिक में सफलता का श्रेय पार्क को जाता है.


ऐसा रहा है  पार्क ताई सांग का करियर 
पार्क ताई सांग साल 1990 से 2000 के बीच बीडब्लू सर्किट में सक्रिय रहे हैं. उन्होंने साल 2004 में एथेंस ओलंपिक में शिरकत की थी और क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे. साल 2002 में उन्होंने पुरुष एकल का स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. इसके अलावा उन्होंने एशिया कप, सुदरीमन कप और एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किए. 


टोक्यो ओलंपिक की अलग बात करें तो पीवी सिंधू ने अपना दबदबा दिखाया है, सेमीफाइनल मुकाबले को अगर छोड़ दें तो उसके अलावा सिंधू ने एक भी सेट नहीं गंवाया है. हालांकि चीनी ताईपेई की खिलाड़ी के खिलाफ उन्हें लगातार दो सेट में ही हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन इसके बाद कांस्य पदक के मैच में उन्होंने शानदार खेल दिखाते हुए चीनी खिलाड़ी को मात देकर कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया. टोक्यो ओलंपिक के बाद भी पार्क पीवी सिंधू के साथ दिखाई देते रहेंगे. 

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