नई दिल्ली: अयोध्या में विवादित स्थल पर राम चबूतरे को लेकर मुस्लिम पक्ष एक दिन के भीतर ही अपने स्टैंड से पलट गया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी दलीले रखते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह कतई स्वीकार नहीं किया है कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है. जबकि मंगलवार को खुद जफरयाब जिलानी ने अदालत के सामने माना था कि राम अयोध्या में जन्मे थे.


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सुप्रीम कोर्ट में 31वें दिन की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह कतई स्वीकार नहीं किया है कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है.


साथ ही जिलानी ने कहा, 'हमारा कहना यह है कि यह हिंदुओं का विश्वास है और जिला जज की इस मामले में ऑब्जरवेशन के बाद हमने इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया. जज ने कहा था कि ये राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है. हमने कभी अपनी ओर से नहीं कहा कि ये जन्मस्थान है.'


क्या हो सकती है यू-टर्न की वजह?


महज 24 घंटे के भीतर मुस्लिम पक्ष का ये यूटर्न चौकाने वाला है. मंगलवार को 30वें दिन की सुनवाई के दौरान जफरयाब जिलानी ने कोर्ट में कहा था कि राम चबूतरा राम का जन्मस्थान है और इसपर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया कि उसका भी वही स्टैंड है जो राजीव धवन की ओर से रखा गया है. अपनी दलील के दौरान राजीव धवन ने कहा था कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, लेकिन कहां इसका जवाब उनके पास नहीं है.


अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने बीती 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई चल रही है. अब तक 31 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है. पहले हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीले कोर्ट के सामने रखी थी तो अब मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत के सामने अपनी दलीलें रखी जा रही हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दलीलों के लिए भी डेडलाइन तय चुके हैं. 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने की डेडलाइन तय की गई है.