नई दिल्ली.  भारतवर्ष में हम लोग प्रियजनों के जन्मदिवस पर संस्कृत में शुभकामना देते हैं - जीवेम शरदः शतम ! अर्थात भगवान करे आप सौ वर्ष जियें. पर क्या भारत में ये सम्भव हो सका है सबके लिए? लेकिन इस दुनिया में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां यह सम्भव हुआ है और बिना दुआ के लोग जीते हैं सौ साल क्योंकि यहां इनका जीवन इन्हें देता है शतायु होने की शुभकामना!


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


 


एक नहीं छह जगह हैं दुनिया में


संस्कृत में कहा जाता है अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका.. पूरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्ष दायिनः. अर्थात ये सात नगरियां भारत में ऐसी हैं जहां व्यक्ति को मोक्ष मिलता है. इसी तरह छह स्थान इस दुनिया में भी ऐसे हैं जहां के रहने वाले को लम्बी आयु मिलती है. इन छह स्थानों में शामिल हैं -   जापान का ओकिनावा, इटली का सार्डीनिया, कैलिफ़ोर्निया का लोम्बा लिंडा, कोस्टारिका का निकोया और ग्रीस का इकारिया.



 


ये हैं दुनिया के छह ब्लू ज़ोन


विश्व के ये छह स्थान वे क्षेत्र हैं जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में 'ब्लू ज़ोन' कहा जाता है. ब्लू का अर्थ यहां दीर्घजीविता से है अर्थात यहां के निवासियों की औसत आयु दुनिया में सर्वाधिक है. इन छह स्थानों के रहवासियों की जीवन के स्टेडियम में आयु वाले खेल के शतकवीर होने की संभावना दुनिया में सर्वाधिक है. इन छह जगहों के बारे में किताब भी लिखी गई हैं.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर वन


ये गौर करने वाली बात है कि इन स्थानों पर लोगों की आयु बाक़ी दुनिया से कहीं ज़्यादा क्यों है. इन छह जगहों पर रहने वालों के सौ साल की आयु को छूने की संभावना ज़्यादा क्यों होती है. एक कारण तो ये पता चला है कि दुनिया के जिन देशों में लोग शतकवीर अधिक होते हैं वहां के लोग सामान्य रूप से  फलों और सब्ज़ियों का सेवन प्रचुर मात्रा मे करते हैं. इसी कारण इन लोगों को बहुत सी ऐसी बीमारियां छू भी नहीं पातीं जो वक़्त से पहले इनकी ज़िंदगी छीन सकें.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर टू


ब्लू ज़ोन कहे जाने वाले इलाक़ों में रहने वालों की ज़िंदगी में कई ऐसी विलक्षणताएँ हैं जो कि शेष विश्व में आदर्शवादी गुणों के रूप में महत्वमान हैं किन्तु दैनिक जीवन में अस्तित्वमान नहीं हैं. पहली सबसे अहम बात इनकी लम्बी उम्र का नंबर टू राज है - इनका खानपान. ब्लू ज़ोन इलाक़ों के लोग दैनिक तौर पर अस्सी प्रतिशत भोजन करने के बाद भोजन समाप्त कर देते हैं. वैज्ञानिक रूप से भी यह एक तथ्य है कि यदि हम रोज़ दस फ़ीसद कैलोरी कम ले रहे हैं तो हम अपनी आयु के बढ़ने की रफ़्तार को धीमा कर रहे हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय जीन विशेषज्ञ डी. गोविंदराजू बताते हैं कि थोड़ा कम भोजन करने से  से हमारे शरीर के डीएनए में हानिकर बदलाव नहीं होते.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर थ्री


ब्लू जोन के रहवासियों के जीवन में जो दूसरी सबसे अहम बात पाई गई है वह लगती बहुत साधारण सी है किन्तु उसका महत्व असाधारण है. इन्होने पाया कि लम्बी आयु जीने वाले इन स्थानों के लोगों में एक चीज़ अधिक है जो बाकी दुनिया में बहुत कम है और वह है दैनिक व्यायाम. यहां के लोग सामान्य जनजीवन जीते हुए दैनिक तौर पर व्यायाम करना कभी नहीं भूलते.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर फोर


ब्लू ज़ोन वाले क्षेत्रों में लोग आदर्शवादी जीवन शैली को महत्व देते हैं जैसे कि वे शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देते हैं. यहां के लोग भी जो मानते हैं वैज्ञानिक भी वही मानते हैं कि शाकाहारी खाना खाने से मानव शरीर के मेटाबॉलिज़म पर अर्थात खाना पचाने की क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर फाइव


लम्बी आयु का राज नंबर फाइव प्रत्यक्ष प्रभाव तो डालता ही है अप्रत्यक्ष रूप से भी दीर्घजीविता को प्रोत्साहित कर ता है. ब्लू ज़ोन में रहने वाले लोग सामाजिक रूप से एक दूसरे से जुड़े होते हैं और इनके आपसी स्वस्थ मैत्रीपूर्ण संबंध इनके जीवन में तनाव पैदा होने नहीं देते. इसलिए तनाव-मुक्त जीवन लम्बी आयु की आधारशिला रख देता है. अच्छे संबंध हमारे स्वास्थ्य में नकारात्मकता नहीं आने देते और सकारात्मकता बढ़ती है तो दीर्घजीविता भी बढ़ती है.



 


लम्बी आयु का राज़ नंबर सिक्स 


जिस तरह सनातन धर्म जीवन शैली का रूप है उसी तरह धर्म जीवन के जीने के ढंग को बेहतर करता है. धार्मिक आस्था सकारात्मक बनाती है और आंतरिक अर्थात मानसिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर आपका सहारा बनती है तो आपके शरीर को अंदर से भी स्वस्थ रखती है. इसलिए धार्मिक होना अर्थात आस्थावान होना भी लम्बी आयु के लिए आपकी योग्यता का परिचय होता है.


ये भी पढ़ें. हो गई पैंसठ हज़ार वाली इलेक्ट्रिक स्कूटी लांच