नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद सरकार दूसरा बड़ा कदम उठाने की तैयारी में हैं. गोल्ड में काला धन लगाने वालों पर शिकंजा कसा जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स की एमनेस्टी स्कीम के तर्ज पर गोल्ड के लिए खास एमनेस्टी स्कीम लाई जा सकती है.


क्या हो सकता है प्लान?


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गोल्ड एमनेस्टी स्कीम के तहत अगर आपके पास अनअकाउंटेड गोल्ड है यानी वो गोल्ड जिसे आपने खरीदा तो है लेकिन न तो उसकी रसीद आपके पास है और न ही आप वैध तरीके से बताने को तैयार हैं कि ये गोल्ड खरीदने के लिए आपके पास पैसे कहां से आए. तो ऐसे गोल्ड को आप डिस्क्लोज कर सकते हैं. उस अनअकाउंटेड गोल्ड की वैल्यू आपको बतानी पड़ेगी. वैल्यू बताने के लिए सरकार जगह जगह वैल्युएशन सेंटर खोलेगी. जहां से आपको वैल्युएशन सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा. इस सर्टिफिकेट में गोल्ड की मात्रा और उसकी वैल्यू लिखी होगी. इस कीमत को डिस्क्लोज करने पर एक तय मात्रा में टैक्स भरना होगा. 



माना जा रहा है कि इस टैक्स को चुकाने के बाद आपका अनअकाउंटेड गोल्ड वैध हो जाएगा. 



अगर पकड़े गए तो भारी जुर्माना


इसका मतलब ये नहीं है कि अगर आपके पास थोड़ा सा भी सोना है तो उसे डिस्क्लोज करना होगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार एक थ्रेशहोल्ड तय करेगी यानी एक तय सीमा होगी. उस सीमा से ज्यादा अनअकाउंटेड गोल्ड होने पर उसे डिस्क्लोज करना होगा. ये स्कीम एक निश्चित अवधि के लिए खोली जाएगी. उसके बाद अगर अनअकाउंटेड गोल्ड पकड़ा गया तो भारी जुर्माना चुकाना होगा.


स्कीम को मिली हरी झंडी: सूत्र


सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय और पीएमओ ने इस स्कीम को हरी झंडी दे दी है. वित्त मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा है. जल्द कैबिनेट से इसको मंजूरी मिल सकती है. बताया जा रहा है कि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ही कैबिनेट में इस पर चर्चा होनी थी. लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव की वजह से आखिर समय पर फैसला टाल दिया गया. हालांकि इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन मानता है कि गोल्ड एमनेस्टी स्कीम लाना संभव नहीं है. हां सरकार गोल्ड मॉनेटाइज़ेशन स्कीम को जरूर बदलाव के साथ फिर ला सकती है.


हो सकता है खास एलान


सूत्रों के मुताबिक मंदिर और ट्रस्ट के पास पड़े गोल्ड को भी प्रोडक्टिव इन्वेस्टमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने का खास एलान हो सकता है. वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग और राजस्व विभाग ने मिलकर इस स्कीम का मसौदा तैयार किया है. एमनेस्टी स्कीम के साथ-साथ गोल्ड को एसेट क्लास के तौर पर बढ़ावा देने का भी एलान हो सकता है. इसके लिए सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को आकर्षक बनाने के लिए अहम बदलाव किए जा सकते हैं. सोवरेन गोल्ड बॉन्ड सर्टिफिकेट को मोर्टगेज करने का भी विकल्प दिया जा सकता है और गोल्ड बोर्ड बनाने का ऐलान किया जा सकता है.


दरअसल, सरकार की मंशा करंट अकाउंड डेफिसिट कम करने और गोल्ड में काला धन के इस्तेमाल को कम करने की है. गोल्ड में काला धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार केवाईसी नियम को और कड़ा कर सकती है. अभी 2 लाख तक की ज्वेलरी खरीद पर पूछताछ नहीं होती इस सीमा को घटाकर सरकार एक लाख या 50 हजार तक कर सकती है. असल में सरकार की गोल्ड को प्रोडक्टिव इनवेस्टमेंट के तौर पर विकसित करने की मंशा है. इसके लिए आईआईएम के प्रोफेसर की सिफारिश के आधार पर मसौदा तैयार किया गया है.