Chief Economic Advisor: मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि विकासशील देशों के लिए ऊर्जा बदलाव जैसी जलवायु कार्रवाई की लागत काफी ऊंची बैठेगी. उन्होंने कहा कि उभरते देश पहले से ही गरीबी उन्मूलन और आर्थिक वृद्धि की दोहरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं. उनके लिए जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा बदलाव एक अतिरिक्त बोझ हैं.


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उन्होंने सामाजिक और आर्थिक प्रगति केंद्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि ऊर्जा बदलाव के तहत तीन लागत का बोझ आएगा. इसमें बढ़ती ईंधन लागत से उत्पादन लागत में वृद्धि और नए ऊर्जा स्रोतों की उच्च लागत शामिल है क्योंकि वे पारंपरिक स्रोतों की जगह ले रहे हैं.


भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा भारत का 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत बिजली जरूरत को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2030 के लिए और अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की घोषणा की है.


इसमें 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना, अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना और कॉर्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करना शामिल है.


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