नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने प्रदेश के बच्चों को बड़ी राहत दी है. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने ऐलान किया है कि प्रदेश के तीसरी से आठवीं बच्चों को वार्षिक परीक्षाएं देनी होंगी. 


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हालांकि यह नियम सिर्फ सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों पर ही लागू होता है. प्रदेश के प्राइवेट स्कूल इस नियम के दायरे में नहीं आते हैं. 


अभिवावकों ने जताई नाराजगी


दिल्ली सरकार के आदेश के दायरे से प्राइवेट स्कूलों को बाहर रखा गया है. इसे लेकर दिल्ली के अभिवावकों ने सरकार पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. 


दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के राज्यपाल अनिल बैजल व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी इसे लेकर ज्ञापन सौंपा है. 



इसके साथ ही अभिवावकों ने 9वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों की परीक्षाएं ऑनलाइन लेने का अनुरोध किया है. 


बच्चों की समस्या से जुड़ा हुआ यह मुद्दा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक जा पहुंचा है. 


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प्राइवेट स्कूलों पर नियम लागू करने की अपील


दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है कि प्राइवेट स्कूलों के तीसरी से आठवीं कक्षा के बच्चों की भी इस वर्ष वार्षिक परीक्षाएं न ली जाएं.


इसके साथ ही एसोसिएशन ने एनएचआरसी और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण से प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन कराने का अनुरोध किया है. 


वहीं अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत किया है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इस फैसले में सुधार की आवश्यकता है. 


संघ का कहना है कि सरकार को तीसरी से आठवीं कक्षा के बच्चों के साथ-साथ 9वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों की परीक्षाएं भी स्थगित कर देनी चाहिए. 


कोरोना काल में मिले राहत


दिल्ली के अभिवावकों ने सरकार से यह अपील की है कि कोरोना काल में सरकारी स्कूलों के बच्चों की तरह प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी स्कूल नहीं जा सके हैं. 


इस लिहाज से प्राइवेट स्कूल के बच्चों को भी वार्षिक परीक्षाएं न देने की राहत दी जानी चाहिए. 



शिक्षाविद केसी कांडपाल ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अधिकतर सरकारी स्कूलों के बच्चों को संसाधनों के अभाव के कारण कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहना पड़ा है.


हालांकि अगर दिल्ली सरकार चाहे तो प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को भी इस नियम के दायरे में ला सकती है. 


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