शेयर में निवेश कर बनना है अमीर तो सबसे पहले खोलें डीमैट अकाउंट, जानें पूरा प्रॉसेस
एचडीएफसी बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है.
नई दिल्ली: मौजूदा समय में शेयर मार्केट में अच्छी खासी तेजी देखने को मिल रही है. अगर आप जोखिम लेने में सक्षम हैं और कम समय में भी बड़ा पैसा कमाना चाहते हैं तो शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. हालांकि कई सारे लोग शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन कम ही लोगों को पता होता है कि, शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है.
क्या होता है डीमैट अकाउंट
एचडीएफसी बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है. इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है. इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स के रखरखाव की परेशानियां दूर हो जाती हैं.
कैसे ओपन कर सकते हैं डीमैट अकाउंट
18 साल की उम्र से ज्यादा का कोई भी व्यक्ति डिजिटल तरीके से डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकता है. डीमैट अकाउंट को ओपन करने के लिए आपके पास पैन, बैंक अकाउंट, पहचान और पते का प्रूफ जैसे दस्तावेजों का होना अनिवार्य है.
डीमैट अकाउंट को नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड या सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड के साथ खोला जा सकता है. ये डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) एजेंट नियुक्त करती हैं, जो स्वंय और इन्वेस्टर्स के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है.
डीमैट अकाउंट ओपन करने के लिए पहले ब्रोकर की वेबसाइट पर जाना होगा. फिर अकाउंट खोलने का फॉर्म भरना होगा. इसमें आपको नाम, पता, पैन और उस बैंक अकाउंट की डीटेल्स भरनी होंगी जिन्हें डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जोड़ना है. साथ ही सबसे बेहतर ब्रोकरेज प्लान को सेलेक्ट करना होगा.
डाक्यूमेंट अपलोड
इसके बाद आपको आधार, पैन, कैंसिल्ड चेक जैसे डॉक्यूमेंट की स्कैन कॉपी अपलोड करना होगा. साथ ही आपको तस्वीर के साथ स्कैन किए हुए सिग्नेचर को भी अपलोड करना होगा. इन-पर्सन वेरिफिकेशन ब्रोकर द्वारा किया जाता है. इसे डिजिटल कॉल या व्यक्ति की वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से किया जाता है. इसके लिए निवेशकों को स्क्रीन पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाता है.
करना होगा आधार ई-वेरिफिकेशन
इसके बाद दोबारा फॉर्म चेक करके उसे जमा करना होगा. इस फॉर्म को ओटीपी के जरिये आधार ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से साइन किया जा सकता है. एक बार जमा की गई जानकारी, स्कैंन्ड दस्तावेज और आईपीवी हो जाने पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाता है. आप ट्रेडिंग अकाउंट में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं और किसी अन्य डीमैट अकाउंट में रखी गई प्रतिभूतियों को नए अकाउंट में ला सकते हैं.
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