जयपुर: पिछले 18 दिनों से लगातार कड़कड़ाती ठंड में सिंचाई पानी की मांग को लेकर किसान विभाग के कार्यालय के आगे धरना लगाकर बैठे हैं.  विभाग की ओर से लगातार किसानों की मांग पर सुनवाई ना होता देख आज किसानों ने सिंचाई विभाग का घेराव कर मुख्य अभियंता की शव यात्रा निकाल पुतला फूंका.


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इस दौरान प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसानों के साथ भाजपा विधायक धर्मेंद्र मोची व गुरदीप शाहपीनी और पदाधिकारी भी मौजूद रहे. इस दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि पर्याप्त सिंचाई पानी मौजूद होने के बावजूद भी सरकार किसानों को सिंचाई पानी मुहैया नहीं करवा रही है, जो कि अन्नदाता के साथ अन्याय है.


केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा बैठक में नहीं आई कोई पानी आपूर्ति की मांग


भाजपा जिला अध्यक्ष बलवीर विश्नोई ने प्रदेश सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां एक ओर प्रदेश सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर किसान हाड़ कंपा देने वाली ठंड में सिंचाई पानी के लिए लगातार धरने पर बैठे हैं. बावजूद इसके सरकार किसानों को राहत देने के लिए कुछ नहीं कर रही है. बिश्नोई ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के निर्देशों पर बीबीएमबी की हुई रिव्यू बैठक में भी राजस्थान की ओर से सिंचाई पानी की मांग की ही नहीं गई.


6 महीनों के भीतर पानी के संकट का दिखने लगेगा भीषण असर


विभाग के मुख्य अभियंता विनोद मित्तल ने साफ तौर पर बताया कि किसानों की मांग है कि उन्हें चार में से दो समूह में सिंचाई पानी मुहैया करवाया जाए. जबकि पहले ही 30 सितंबर को हुई बैठक में बारियां तय की गई थी. उसमें 30 फीसदी अतिरिक्त बेहतर पानी की आवक के हिसाब से बारियां तय की गई थी. जिसकी मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई.



ऐसे हालातों में अगर अब किसानों को अतिरिक्त पानी दिया जाता है तो बाकी के 6 महीनों में प्रदेश के अंदर पानी का संकट खड़ा हो सकता है. साथ ही मुख्य अभियंता ने यह आश्वासन दिया कि अगर दिसंबर और जनवरी की बेहतर बरसात होती है और पानी के स्तर में सुधार होता है तो इन पारियों को बाद में रिव्यू भी किया जा सकता है.


लगातार 18 दिन बीतने के बाद भी जिस तरह से किसान अभी भी सिंचाई पानी के लिए कड़कड़ाती ठंड में धरना करने को मजबूर है और सरकार अपनी मजबूरियों का रोना रोकर किसानों की मांग से अपना पल्ला झाड़ रही है, अब देखने वाली बात यह होगी कि किसानों को सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी मिलता है या किसानों को हताश हो कदम पीछे खींचने पर मजबूर होना पड़ेगा.