नई दिल्ली:Loyal Friend: अक्सर हमने देखा है कि आफिस हो या किसी भी भीड़ वाली जगह में महिलाओं को घुलने मिलने में ज्यादा वक्त लगता है. ऑफिस में भी नए ज्वाइन किए हुए लड़के जल्दी दोस्त बन जाते हैं. वहीं लड़कियों को सहज होने में वक्त लगता है. ऐसा क्यों है? इसे लेकर जब मेल फ्रेंड्स से बात की तो उन्होंने भी कई सारे जायज कारण बताएं. आप भी सुनिए.


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पुरुषों का बिंदास रहना


महिलाएं किसी से दोस्ती करने से पहले उसका नेचर, मूड, बात करने का तरीका जैसी कई सारी चीजें नोटिस करती हैं. जबकि पुरुषों के लिए ये सारी चीजें ज्यादा मायने नहीं रखती हैं. उनके लिए दोस्ती का मतलब बस एक दूसरे से विचारों का मिलना होता है.


माफ करने और भूलने की आदत


दोस्ती के रिश्ते में छोटी-मोटी बातों को भूलना, नजरअंदाज करना,  माफ करके आगे बढ़ना बेहद जरूरी और अच्छा होता है. ऐसा करना पुरुषों के लिए नॉर्मल होता है. लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा करना बेहद मुश्किल होता है. उनके नजरअंदाज न करने की आदत कई बार अच्छी और लंबी दोस्ती को तोड़ देती है.


हर बात दिल पर न लेना


दोस्ती एक बेफ्रिकी वाला रिश्ता होता है. जहां हम कुछ भी सोच-समझकर नहीं बोलते हैं.  दोस्तों के सामने तो जो मुंह में आया बोल देते हैं. दोस्त ने दिल को दुखाने वाली कोई बात कहीं, तो पुरुष रिएक्ट करके भूल जाते हैं, तो कई बार इग्नोर कर देते हैं. वह उस बात के बारे में ज्यादा नहीं सोचते. वहीं महिलाएं ऐसा नहीं करती हैं.  इसकी एक वजह उनका सेंसिटिव नेचर भी होता है. लेकिन दोस्ती के मामले में कई बार ये परेशानी खड़ा कर देता है.


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