नई दिल्ली.  तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम - ये बात पुरानी हो गई. अब तीन कसमें खा कर ज़िंदा रहना होगा. कोरोना की तैयारी पूरी है आप पर आक्रमण की लेकिन आपने क्या तैयारी की है, इस पर निर्भर करेगा की इस जंग में कौन जीतेगा.


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तीन काम जरूरी हैं


जैसे जीने के लिए सांस लेना जरूरी है, खाना जरूरी है और पानी पीना जरूरी है वैसे ही कोरोना से बच कर जीने के लिए भी अब तीन चीज़ें जरूरी हैं. ये तीन चीज़ें हैं वे तीन जरूरी काम जिनको करने की कसम खा कर आप रोज़ घर से निकलेंगे. और जब आप घर वापस आएंगे तो ये तीनों काम करके आएंगे.


काम नंबर वन


अब आपसे कोई हाथ भी नहीं मिलाएगा अगर आप गले मिलोगे तपाक से..अब ये नए मिजाज़ का कोरोना वाला शहर है..अब आप ज़रा फासले से मिला करो. बशीर बद्र का एक शेर ज़िंदगी का फलसफा बन गया है कोरोना काल में. और काम नंबर वन भी यही है. भूल कर भी किसी से हाथ नहीं मिलाना है आपको, गले मिलना तो भूल जाइये.


काम नंबर टू


बाहर न कुछ खाइये, न पीजिये. कम से कम बाहर कुछ खरीद कर खाना पीना तो आप एक साल के लिए भूल ही जाइये. जो भी घर से लाइए बस वही खाइये. अपने खाने के साथ अपना पानी भी लाइये. और इसके पहले इसकी कसम खाइये कि न खाऊंगा न खिलाऊंगा. न खुद को होने दूंगा कोरोना न किसी और को. जो भी खाऊंगा घर का खाऊंगा और वो भी साबुन से बीस सेकंड हाथ धोकर खाऊंगा.


काम नंबर थ्री


जो काम करें और जिस चीज के साथ आप काम करें जैसे - कंप्यूटर, या पेन, या कोई और उपकरण - उसे यथासंभव सैनेटाइज करके ही उस पर काम करें. जो ज़रूरी है बस वही जरूरी है. उसके अलावा सब गैरजरूरी है. कहने का तात्पर्य है कि आप कुछ भी गैरजरूरी सामान न छुएं. न दीवाल न खम्बा न नल न टोंटी न कॉपी न किताब. अब सब पर बैठा हो सकता है आपका जानी दुश्मन जिसका नाम है कोरोना. इसलिए घर से बाहर ऐसा करो ना !


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