नई दिल्ली: Uniform Civil Code: केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग से सुझाव मांगे थे. इसके बाद देश के 22वें विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों के साथ विभिन्‍न पक्षों से 30 दिन के भीतर अपनी राय देने को कहा है. इसलिए ये मुद्दा एक बार फिर से गर्म हो गया है.


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भाजपा का फोकस
स्थापना के बाद से ही भाजपा के मुख्‍य 3 एजेंडे रहे हैं. अनुच्‍छेद-370 को हटाना, राममंदिर का निर्माण कराना और देश में समान नागरिक संहिता लागू कराना है. पहले दो एजेंडे पूरे करने के बाद अब भाजपा का जोर यूसीसी पर है.  2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में "संविधान के ढांचे के भीतर सभी संभावनाओं का पता लगाने और समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करने" का वादा किया गया था.


गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में बीजेपी की कोर कमेटी के साथ बैठक के दौरान सुझाव दिया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और ट्रिपल तलाक को निरस्त करने के बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी)  सरकार के एजेंडे में अगला बड़ा मुद्दा हो सकता है. 


क्या बोले पीएम
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले मंगलवार को कहा था कि भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता और भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है.  


विपक्ष और विरोधियों का स्टैंड
कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि पीएम ने कई राज्यों में चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक लाभ के लिए यूसीसी का मुद्दा उठाया. 


वहीं समान नागरिक संहिता (यूसीसी)  के कार्यान्वयन का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित विभिन्न धार्मिक समूहों ने विरोध किया है, जिन्होंने तर्क दिया है कि यह मुसलमानों के अपने व्यक्तिगत कानूनों का पालन करने के अधिकारों का उल्लंघन करेगा. 


यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूसीसी है क्‍या?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि हर धर्म, जाति, संप्रदाय, वर्ग के लिए देश में एक ही नियम. समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश में एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक ही होंगे. 


अनुच्छेद-44
संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है. इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है. 


4 बड़ी चुनौतियां
-धार्मिक संगठनों का विरोध, राजनीतिक सहमति न बन पाना
-विरोध करने वालों का कहना है कि सभी धर्मों के लिए समान कानून के साथ धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार और समानता के अधिकार के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होगा.
-विरोध करने वाले कहते हैं कि इससे सभी धर्मों पर हिंदू कानूनों को लागू कर दिया जाएगा.  
-समान नागरिक संहिता (यूसीसी)  के कार्यान्वयन के लिए एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होगा.  सरकार ने अभी तक प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी)  का मसौदा जारी नहीं किया है और यह स्पष्ट नहीं है कि इसे संसद में कब पेश किया जाएगा. 


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