नई दिल्ली: Period Rituals: नारी को शक्ति का रूप और चुनौती का पर्याय यूं ही नहीं कहा जाता, इसमें कोई दो राय नहीं है कि हर तरह की तकलीफों का सामना करने और उससे लड़ने के लिए एक लड़की हमेशा तैयार रहती है. इसी तरह लड़कियों की जिंदगी में सबसे बड़ी चुनौती या यूं कहें पड़ाव पीरियड्स होता है.


'कुप्रथाओं' को आईना दिखाने वाले रीति-रिवाज


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भारत देश में कई जगहों पर लड़कियों को पीरियड्स के दौरान अछूत घोषित कर दिया जाता है. आज भी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अशुद्ध माना जाता है. देश के कई हिस्सों में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मंदिर से लेकर किचन तक के अंदर जाने की मनाही होती है. पीरियड्स को एक लड़की की जिंदगी के सबसे अहम पड़ाव में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि पीरियड्स ही वो वक्त होता है, जब एक लड़की अपने असल सफर की शुरुआत करती है और वो मैच्योरिटी की ओर अपना पहला कदम बढ़ाती है.



इस देश में ऐसे भी कई राज्य हैं, जहां लड़कियों के पीरियड्स के दौरान लोग जश्न मनाते हैं, खुशियां बांटते हैं. कई जगहों पर तो इसे त्योहार की तरह मनाया जाता है.आपको इसी तरह दक्षिण और उत्तर पूर्व भारत के कुछ राज्यों में होने वाले समारोह, आयोजन और रीति-रिवाजों के बारे में बताते हैं.


ओडिशा में तीन दिन तक चलता है समारोह


ओडिशा राज्य में पीरियड्स के लिए तीन दिनों तक चलने वाले समारोह को राजा प्रभा के नाम से जाना जाता है. ये एक संस्कृत शब्द से निकला है, जिसका अर्थ मासिक धर्म होता है.



आपको इस समारोह और जश्न के बारे में विस्तार से बताते हैं. ये रिवात रिवाज 'मिथुन संक्रांति' नाम के अन्य प्रथा से संबंधित है. इसे मानसून की पहली बारिश से जोड़ा जाता है. लड़कियों को पीरियड्स के चौथे दिन स्नान कराया जाता है. नए कपड़े और मिठाइयों के साथ जश्न भी मनाया जाता है.


असम में शादी की तरह मनाया जाता है त्योहार


इसी तरह जब असम में किसी लड़की को पहली बार पीरियड्स होते हैं, तो इसे 'तुलोनिया बिया' नाम का त्योहार बताया जाता है. इसमें किसी भी लड़की की शादी की तरह जश्न मनाया जाता है. इस दौरान लड़कियों पर कई तरह की पाबंदियां भी लगी रहती हैं और उन्हें सिर्फ एक कमरे में ही रहना होता है.



सात दिनों तक लड़की अलग जगह रहती है, इस दौरान ऐसा कहा जाता है कि लड़की को सूर्य, चंद्रमा और सितारों को नहीं देखना होता है, अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये अशुभ माना जाता है. इसके बाद एक आयोजन रखा जाता है, जिसमें कई रिश्तेदार लड़की के लिए तोहफे लेकर आते हैं.


तमिलनाडु में सभी रिश्तेदारों को दिए जाते हैं कार्ड


तमिलनाडु में भी लड़की के पीरियड्स पर अनोखा रीति-रिवाज है, इसे मंजल निरातु विज़ा त्योहार कहा जाता है. इस दौरान एक शानदार समारोह आयोजित किया जाता है. खास बात तो ये है कि इसके लिए सभी रिश्तेदारों को कार्ड भी भेजे जाते हैं.



इस दौरान ऐसी प्रथा है कि लड़की के चाचा या मामा नारियल, आम और नीम के पत्तों से एक झोपड़ी बनाते हैं. लड़कियों को हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है. इस दौरान कई स्वादिष्ट पकवान भी झोपड़ी में रखे जाते हैं. स्नान के बाद लड़की को रेशम की साड़ी और गहने पहनाए जाते हैं. ये सबकुछ पीरियड्स के 9वें, 11वें और 15वें दिन किया जाता है. जब ये आयोजन पूरा हो जाता है तो फिर लड़की के चाचा या मामा की बनाई इस झोपड़ी को हटा दिया जाता है.


कर्नाटक में लड़की को मान लिया जाता है परिपक्व


लड़की को जब पहली बार पीरियड्स होते हैं, कर्नाटक भी ऐसा राज्य है जहां इसके लिए जश्न मनाया जाता है. इस प्रथा का नाम भी रखा गया है.



इसे 'ऋतु कला संस्कार' या 'ऋतुशुद्धि' कहा जाता है. इस दौरान लड़कियां पहली बार साड़ी पहनती हैं, इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश की जाती है कि लड़की अब महिला की श्रेणी में आ रही है और वो शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व हो चुकी है.


आंध्र प्रदेश में अलग कमरे का किया जाता है इंतजाम


आंध्र प्रदेश में भी कुछ ऐसे ही रीति रिवाज हैं, जब लड़की को जब पहली बार पीरियड्स होते हैं, तो यहां भी एक शानदार आयोजन किया जाता है. इसे 'पेडमनिषी पंडगा' कहकर पुकारा जाता है.



आंध्र प्रदेश में ये समारोह पहले, पांचवे और आखिरी दिन मनाया जाता है. इस दौरान पहले दिन 'मंगल स्नान' होता है. उसके पीरियड्स के दौरान लड़की के लिए अलग कमरे की व्यवस्था भी की जाती है. लड़की को पीरियड्स के आखिरी दिन चंदन का लेप लगाने का प्रावधान है.


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