नई दिल्ली: भारत में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं- तीन केरल से और एक दिल्ली से.. हालिया मरीज दिल्ली का 34 वर्षीय एक व्यक्ति है जिसका विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं था. हर कोई खौफ के साये में जीने को मजबूर हो गया है. हर किसी के भी मन में कई सारे सवाल उठ रहे हैं, आपको इस रिपोर्ट में सभी सवालों के जवाब देते हैं.


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सवाल- मंकीपॉक्स क्या है?
जवाब-
मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पूर्व में देखे गए लक्षणों के समान होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है. मंकीपॉक्स वायरस के दो अलग-अलग आनुवंशिक समूह हैं - सेंट्रल अफ्रीकन (कांगो बेसिन) स्वरूप और वेस्ट अफ्रीकन. कांगो बेसिन स्वरूप पूर्व में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बना है और इसे अधिक संक्रामक माना जाता है.


सवाल- लक्षण क्या हैं और ठीक होने की अवधि क्या है?
जवाब-
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहते हैं. सामान्य आबादी में मृत्यु दर का अनुपात ऐतिहासिक रूप से शून्य से 11 प्रतिशत के बीच रहा है और छोटे बच्चों में यह अधिक रहा है. हाल के दिनों में मृत्यु दर का अनुपात तीन से छह प्रतिशत के आसपास रहा है.


मंकीपॉक्स में आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, तीन सप्ताह तक चकत्ते, गले में खराश, खांसी और फफोले होते हैं. लक्षणों में घाव शामिल हैं, जो आमतौर पर बुखार की शुरुआत के एक से तीन दिनों के भीतर शुरू होते हैं, लगभग दो से चार सप्ताह तक रहते हैं और अक्सर उपचार जारी रहने तक पीड़ादायक होते है. इनमें खुजली भी होती है. मंकीपॉक्स के वायरस का हथेली और तलवों में विशेष प्रभाव दिखता है.


सवाल- मंकीपॉक्स का टेस्ट कैसे होता है?
जवाब-
इस बीमारी की टेस्टिंग पीसीआर तकनीक से ही की जाती है. लेकिन सैंपल लेने के लिए त्वचा पर निकले दानों से नमूना लिया जाता है. इसके अलावा मरीज का एक ब्लड सैंपल लिया जाता है. दोनों टेस्ट से मंकीपॉक्स कंफर्म होता है.


सवाल- यह कैसे फैलता है?
जवाब-
मानव-से-मानव में वायरस का प्रसार मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है, आमतौर पर संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है.


यह शरीर से निकले तरल पदार्थ या घाव के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने से फैल सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के माध्यम से. चूहे, गिलहरी और बंदर, वानर सहित छोटे संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से या उनके मांस के जरिए यह पशु-से-मानव में फैल सकता है.


सवाल- मंकीपॉक्स से किसे है खतरा?
जवाब-
इसका मतलब ये है कि भारत में कुछ लोगों को मंकीपॉक्स का कम खतरा है. ऐसे लोग जिन्हें जीवन में कभी स्मॉलपॉक्स या चेचक हो चुका है. ऐसे लोग जिन्हें चिकनपॉक्स या स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है. भारत में 1975-80 के दौर के बाद स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगनी बंद हो गई थी, इसलिए ऐसे लोग जिनका जन्म 1980 के बाद हुआ उन्हें ज्यादा खतरा माना जा रहा है.


अगर चारों केस को बारीकी से देखें तो कुछ बातें साफ हो जाती हैं. चारों की उम्र 40 वर्ष से कम है. चारों पुरुष हैं, चार में से तीन अफ्रीकी देशों की यात्रा करके आए हैं. दिल्ली वाला मरीज हिमाचल प्रदेश से पार्टी करके लौटा है.


सवाल- क्या किसी के पास मंकीपॉक्स की दवा है?
जवाब-
मंकीपॉक्स आमतौर पर 21 दिन में खुद ठीक हो जाता है. हालांकि अमेरिका में इसकी एक दवा सामने आई है. CDC यानी अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रौल ने tecovirimat दवा को आजमाने की सिफारिश की है, लेकिन ये दवा अभी भारत में उपलब्ध नहीं है. अमेरिका में स्मॉलपॉक्स के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन भी मंकीपॉक्स के मरीजों को दी जा रही है. ये दवा शुरुआती बीमारी में थोड़ी राहत दे सकती है हालांकि 7 दिन बीतने पर इसका ज्यादा फायदा होते नहीं देखा गया.


यूरोप की मेडिसिन अथॉरिटी एजैंसी EMA ने Imvanex दवा को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए यूज करने की सिफारिश की है. ये दवा स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए बनी है.


हालांकि दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में भर्ती 31 साल के मरीज का इलाज कर रहे डॉ सुरेश कुमार का कहना है कि फिलहाल अलग से दवाओं की जरूरत नहीं है. इस बीमारी के कुछ मामले जरूर आएंगे लेकिन बडे़ स्तर पर नहीं फैलेगी. किसी को भी बुखार के साथ त्वचा पर लाल दाने या पानी वाले दाने हों तो सरकारी अस्पताल पहुंचे. भारत में फिलहाल टेस्ट करने का काम सरकार के जरिए ही रहेगा.


सवाल- संक्रमण की अवधि और प्रसार क्षमता की अवधि क्या है?
जवाब-
संक्रमण की अवधि (संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत से ठीक होने तक की अवधि) आमतौर पर छह से 13 दिन होती है लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक भी रह सकती है. संक्रमण की अवधि शरीर में दाने निकलने से एक से दो दिन पहले शुरू होती है और यह तब तक बनी रहती है जब तक कि घाव की सभी पपड़ी सूखकर गिर न जाए या कम न हो जाए.


सवाल- क्या मंकीपॉक्स यौन संचारित है?
जवाब-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए कहा, 'फिलहाल, यह एक ऐसा प्रकोप है जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों के बीच केंद्रित है, विशेष रूप से उन लोगों में जो कई लोगों के साथ यौन संबंध रखते हैं. इसका मतलब है कि यह एक प्रकोप है जिसे सही समूहों में सही रणनीतियों के साथ रोका जा सकता है.'


'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में पिछले बृहस्पतिवार को प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि 95 प्रतिशत मामले यौन गतिविधि के माध्यम से प्रसारित हुए और संक्रमित लोगों में से 98 प्रतिशत समलैंगिक या बाईसेक्शुअल (पुरुषों व महिलाओं दोनों से संबंध बनाने वाले) पुरुष थे. शोध में 528 पुष्ट संक्रमणों पर अध्ययन किया गया है.


सवाल- क्या मंकीपॉक्स एक नई बीमारी है?
जवाब-
नहीं. मानव में मंकीपॉक्स की पहचान पहली बार 1970 में कांगो गणराज्य में हुई थी. तब से, कांगो बेसिन के ग्रामीण, वर्षावन क्षेत्रों से अधिकांश मामले सामने आए हैं, विशेष रूप से कांगो गणराज्य में और पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका से संक्रमण के मामले तेजी से सामने आए हैं.


1970 के बाद से 11 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. 2003 में अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का प्रकोप अमेरिका में आया था. इस प्रकोप के कारण अमेरिका में मंकीपॉक्स के 70 से अधिक मामले सामने आए. सितंबर 2018, दिसंबर 2019, मई 2021 और मई 2022 में नाइजीरिया से इजराइल और ब्रिटेन जाने वाले यात्रियों में, मई 2019 में सिंगापुर और नवंबर 2021 में अमेरिका में मंकीपॉक्स की भी सूचना मिली है


इस साल मई में कई गैर प्रकोप वाले देशों में मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान की गई. विश्व स्तर पर अब तक 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इस प्रकोप के कारण अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है.


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