नई दिल्ली: भारत में मंकी पॉक्स की तरह ही एक रोग मवेशियों में फैल रहा है, जिसे लंपी स्किन डिजीज बताया जा रहा है. मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. आपको बता दें, भारत में पहली बार इस रोग के मामले दर्ज किए गए हैं. कई राज्यों से ऐसी जानकारियां सामने आ रही हैं कि इसके जद में आकर कई मवेशियों की मौत हो रही है.
इस रोग के कारण और प्रजातियां
सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर ये रोग क्यों और कैसे फैल रहा है और इसकी कितनी प्रजातियां हैं. दरअसल, अब तक मिली जानकारी के अनुसार ये रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैल रहा है. जिसे 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' (LSDV) कहते हैं.
इस वायरस की मुख्यतः तीन प्रजातियां होती हैं. बताया जाता है कि पहली और सबसे मुख्य प्रजाति 'कैप्रिपॉक्स वायरस' (Capripoxvirus) है. इसके अलावा गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) और शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) दो अन्य प्रजातियां हैं.
लंपी त्वचा रोग के लक्षण को जानिए
मवेशियों में इस रोग के कई सारे लक्षण पाए जाते हैं. जैसे बुखार, वजन का कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देते हैं, जिन्हें त्वचा का घाव कहा जाता है. अक्सर ये महीनों तक शरीर पर बने रहते हैं.
इस रोग में शरीर पर गांठें बन जाती हैं. गर्दन और सिर के पास इस तरह के नोड्यूल ज्यादा दिखाई देते हैं. कई दफा तो ये भी देखा जाता है कि इस रोग के चलते मादा मवेशियों में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है.
इस रोग का उपाय
अपने मवेशियों का विशेष ध्यान रखना होगा, इसके तहत पशुओं को प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोकें. चूकि ये एक प्रकार का वायरस है, तो इसका कोई विशेष उपाय नहीं है. ये बात अलग है कि इससे बचने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं. घाव के इलाज के लिए भी कई सारे तरीके अपनाए जा सकते हैं.
इसके लिए कोई भी उपाय अपनाने के लिए पशु चिकित्सकों से जरूर संपर्क करें. इसके लक्षण देखते ही उपाय के साथ-साथ उपचार कराने पर ध्यान देना चाहिए. लापरवाही से इसे बढ़ावा मिलेगा.
गुजरात में 999 मवेशियों की मौत
गुजरात में लंपी त्वचा रोग के कारण कुल 999 मवेशियों की मौत हो चुकी है, जिनमें से अधिकतर गाय एवं भैंस हैं. राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने यह जानकारी दी. सरकार की ओर से रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में मंत्री के हवाले से बताया गया कि 14 जिलों में, वायरस से फैलने वाली इस बीमारी के मामले पाए गए हैं और 37,000 से अधिक संक्रमित पशुओं का इलाज किया गया है.
इसमें बताया गया कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए 2.68 लाख पशुओं को टीका लगाया गया है. पटेल ने कहा कि राज्य में इस बीमारी का पहला मामला सामने आने के बाद इसे काबू करने के उद्देश्य से उचित व्यवस्था करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की गई थी.
इन कारणों से फैलती है बीमारी
उन्होंने कहा कि बीमारी को नियंत्रित कर लिया गया है. बहरहाल, पटेल ने नहीं बताया कि पहला मामला कब सामने आया था. लंपी त्वचा रोग एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों के कारण फैलती है. यह मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के माध्यम से फैलती है.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि जानवरों में बुखार आना, आंखों एवं नाक से स्राव, मुंह से लार निकलना, पूरे शरीर में गांठों जैसे नरम छाले पड़ना, दूध उत्पादन में कमी आना और भोजन करने में कठिनाई इस बीमारी के लक्षण हैं.
गुजरात के 14 जिलों - कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी, सुरेंद्रनगर, अमरेली, भावनगर, बोटाद, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बनासकांठा और सूरत में इसके मामले पाए गए हैं. पटेल ने कहा, '880 गांवों में इस बीमारी के मामले पाए गए हैं और 37,121 पशुओं का इलाज किया गया है.' मंत्री ने कहा, 'तालुका स्तर की महामारी विज्ञान रिपोर्ट के अनुसार, लंपी त्वचा रोग के कारण अब तक 999 मवेशियों की मौत हो चुकी है.'
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