नई दिल्लीः Interim Budget 2024: देश की मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार 1 फरवरी को छठी बार देश का बजट पेश करेंगी. 1 फरवरी को लोकसभा में पेश होने वाला बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट होगा. अंतरिम बजट आम बजट/वार्षिक बजट या सालाना बजट से बिल्कुल अलग होता है. इसे लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पेश किया जाता है और देश में तब तक लागू रहता है, जब तक की नई सरकार अपना नया पूर्ण बजट पेश नहीं कर देती. 


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पेचीदा शब्दावलियों का होता है इस्तेमाल
बजट पेश करते समय कई तरह के पेचीदा शब्दावलियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन शब्दावलियों को समझने में आम इंसान से लेकर पढ़े-लिखे लोगों को भी बजट समझने में दिक्कत होती है. हालांकि, अगर बजट से संबंधित शब्दावलियों के बारे में हमें पता हो, तो बजट समझने में दिक्कत नहीं होगी. ऐसे में आइए जानते हैं बजट में इस्तेमाल होने वाले कुछ पेचीदे शब्दावलियों के बारे में. 


बजट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्द 
फाइनेंस बिलः
जब भी जिक्र बजट का होता है, तो फाइनेंस बिल का नाम हमारी जुबां पर जरूर आता है. इस बिल के जरिए सरकार साल भर में अपनी पूरी कमाई की जानकारी देती है. वहीं, सरकार अपने साल भर के खर्च का ब्योरा जिस बिल के जरिए देती है, उसे एप्रोप्रिएशन बिल या विनियोग विधेयक कहा जाता है. 


बजट एस्टिमेटः सरकार जब वित्त वर्ष में अपनी कुल कमाई और कुल खर्च का अनुमान बताती है, तो उसे बजट की शब्दावली में बजट एस्टिमेट के रूप में जाना जाता है. 


राजकोषीय घाटाः घाटा का तात्पर्य हानि से है. जब सरकार की एक साल की कुल कमाई, सरकार की ओर से खर्च की गई राशि से कम होती है, तो ऐसी स्थिति को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. कुल मिलाकर सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है. 


राजस्व घाटाः जब सरकार की एक साल की कमाई तय लक्ष्य की कमाई के मुताबिक नहीं होती है, तो इस तरह के घाटे को राजस्व घाटा कहा जाता है. 


डायरेक्ट टैक्सः जो टैक्स सरकार द्वारा जनता से लिया जाता है, उसे डायरेक्ट टैक्स कहते हैं. जैसेः इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स इत्यादि. वहीं, जो टैक्स जनता से परोक्ष रूप से लिए जाते हैं. उन्हें इनडायरेक्ट टैक्स कहा जाता है. जैसेः एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, सर्विस टैक्स इत्यादि. 


कंसॉलिडेटेड फंडः इस तरह के फंड से पैसा निकालने से पहले सरकार को संसद की मंजूरी लेनी पड़ती है. 


राजस्व व्ययः सरकार देश चलाने के लिए जो पैसे खर्च करती है, उसे हम राजस्व व्यय के रूप में जानते हैं. वहीं, सरकार जब सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचती है, तो इसे डिसइन्वेस्टमेंट या विनेवेश करते हैं. 


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