पटना: बिहार में पुआल (पराली) से पौष्टिक पशु चारा बनाने की योजना पर काम चल रहा है. इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि पशुओं को पौष्टिक चारा भी मिलेगा.


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दुग्ध उत्पादन को होगा लाभ
पराली से बने पौष्टिक चारे से दुधारू पशुओं के भोजन में आवश्यक तत्व शामिल होंगे, इससे उनके दूध देने की क्षमता बढ़ेगी. पटना में पराली प्रबंधन पर हुए सेमिनार में मिले सुझावों के आधार पर कृषि विभाग ने इसकी जिम्मेदारी बिहार कृषि विश्वविद्यालय को दी थी. विश्वविद्यालय ने पराली से संबंधित रिपोर्ट कृषि विभाग को सौंप दी है.


पराली के और भी कई उपयोग
कृषि विभाग के सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में पराली प्रबंधन पर कई और सुझाव दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है पुआल (पराली) से पौष्टिक चारा, थर्मोकोल की तरह प्लेट और कटोरी बनाने में उपयोग किए जा सकते हैं. इसके अलावा पैकेजिंग में भी इसके उपयोग किए जा सकते हैं. अगर पराली के इस तरह के उपयोग बढ़ते हैं तो उन्हें जलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी और देश को वायु प्रदूषण से निजात मिलेगी. 


पराली जलाने पर सरकार की है रोक
पिछले दिनों दिल्ली एनसीआर में फैले जहरीले स्मॉग की वजह से सरकार सचेत हो गई है. जिसके बाद पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से खेतों में पुआल (पराली) जलाने पर  रोक लगा दी गई. किसानों को चेतावनी भी दी गई है कि ऐसे किसान जो पराली जलाएंगे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा. इसके बाद भी कई किसान खेतों में धान के पौधे के अवशेष जला रहे हैं.



बक्सर में किसानों को दिया गया प्रस्ताव
बक्सर जिला प्रशासन ने इसकी रोकथाम के लिए एक अच्छा विकल्प दिया है. जो किसान अपने खेत से पुआल (पराली)को हटाना चाहते हैं, वे इसे गोशाला में दे सकते हैं.


धान के उन अवशेषों का चारा बना उससे गोवंश का पेट भरा जाएगा. बक्सर के अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय ने किसानों से अपील करते हुए उन्हें एक बेहतर सुझाव दिया है. जिससे न सिर्फ वह सरकारी आदेश का अनुपालन कर सकेंगे, दूसरी तरफ वह पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ गौ माता की सेवा का पुण्य भी प्राप्त कर सकेंगे.