नई दिल्ली.   शोधकर्ताओं द्वारा आविष्कारित कोरोना जांच की ये तकनीक है कमाल की. न केवल ये आधे घंटे में कोरोना जांच कर देती है, अपितु सटीक परिणाम भी देती है. चीनी वायरस कोरोना के संक्रमण से पीड़ित दुनिया के देश कोरोना की एक सुरक्षित और कारगर वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं.  


जांच है पहली चुनौती 


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दुनिया भर में कोरोना के विरुद्ध युद्ध में सबसे पहला कदम है कोरोना की जांच. लोगों में इसके संक्रमण की जांच जितनी जल्दी होगी उतनी ही जल्दी कोरोना-रोगियों की पहचान भी हो सकेगी ताकि जल्दी से जल्दी उनका उपचार किया जा सके. पहले कोरोना की जांच की तकनीकी काफी मुश्किल और दीर्घकालिक थी जबकि अब यह अधिक सुविधापूर्ण हो गई है. फिलहाल नई तकनीक ने तो काम बहुत आसान कर दिया है जो कोरोना संक्रमण की जांच महज 30 मिनट में कर देती है. 


 आरएनएए सीक्वेंस से जुड़ी जांच 


धन्यवाद देना होगा दक्षिण कोरिया की पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी को जिनके शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का ईजाद किया है. उनकी यह कोरोना जांच तकनीक कोरोना के आरएनए सीक्वेंस पर आधारित है. आरएनए मूल रूप से एक न्यूक्लिक एसिड होता है, जो आनुवांशिक जानकारी को लेकर माध्यम की भाँती सक्रिय हो जाता है. इस तरह कोरोना संक्रमण की जांच करने पर व्यक्ति में संक्रमण की पहचान केवल आधे घंटे में हो जाती है. 


हफ्ते भर में आ सकती है जांच किट


शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी कोरोना किट एक हफ्ते के भीतर पूरी तरह तैयार हो कर बाज़ार में आ सकती है. इस किट में इस्तेमाल की गई तकनीक की खासियत यह है कि कोरोना जांच के लिए टेस्ट किट महज एक हफ्ते में तैयार की जा सकती है जो कि मौजूदा समय में कोरोना की जांच में इस्तेमाल हो रहे पीसीआर मॉलिक्यूलर टेस्ट से काफी सटीक परिणाम सामने लाती है.


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