नई दिल्ली: दरअसल कोरोना के मरीजों को क्वारंटाइन में रखने के लिये बड़े पैमाने पर आइसोलेशन वार्ड बनाने की जरूरत है. लेकिन देश के अस्पताल इसके लिए तैयार नहीं हैं. अस्पतालों में इसे तैयार करने में समय लग जाएगा. 


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रेलवे ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ 
देश में कोरोना मरीजों को रखने के लिए आइसोलेशन वार्ड की जरुरत को देखते हुए रेलवे ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.  रेलवे विभाग ने ट्रेन की बोगियों को आइसोलेशन वॉर्ड में बदलने का आइडिया दिया है. इससे पहले रेलवे ट्रेन की बोगियों को मोबाइल अस्पताल में बदलने का सफल प्रयोग कर चुका है. जाहिर है रेलवे की इस तैयारी से स्टेशन से लेकर यार्ड में खड़े ट्रेन के डिब्बे कोरोना के खिलाफ बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं.



रेल के डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड बनाना आसान 
ट्रेन की एक बोगी में चार टॉयलेट होते हैं, इस लिहाज से एक बोगी में 2 से 4 आइसोलेशन वार्ड बनाए जा सकते हैं. ऐसे में मरीजों की भीड़भाड़ को एक दूसरे के संपर्क में आने से टाला जा सकता है. 
पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना को विश्व युद्ध से भी खतरनाक बताया था. रेलवे ने इसी आधार पर तैयारी शुरू कर दी.  रेलवे ने सैनिटाइजर और मास्क बनाने की शुरुआत कर दी है. यही नहीं जरूरत पड़ने पर रेलवे कोच फैक्ट्रियों में मेडिकल उपकरण भी बनाया जा सकता है. 



संकट में रेल पहले भी निभा चुका है अहम भूमिका 
कोरोना के खिलाफ जंग में रेलवे के इस दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रेलवे के वर्कशॉप में एंबुलेंस और बख्तरबंद गाड़ियों के निर्माण से लेकर एयरक्राफ्ट की मरम्मत तक का काम बखूबी हो चुका है.