कोरोना के साथ जीना मजबूरी, ये उपाय करना बेहद जरुरी
कोरोना वायरस की महामारी हमारी जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ये साफ कर चुका है कि कोरोना महामारी इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है. ऐसे में इस बीमारी को खुद से दूर रखने के तरीके तलाश करना जरुरी है.
कोरोना के साथ जीना सीखना होगा
कोरोना को भगा पाना फिलहाल तो संभव नहीं दिखता इसलिए हम सबको इस बीमारी से लड़ने की आदत डालनी होगी. इस बीमारी को लेकर जितनी भी रिसर्च अभी तक आई है. वह सभी अभी तक अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जो लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो रहे हैं वह कैसे सफलता हासिल कर रहे हैं.
आयुर्वेदिक भाप से भागता है कोरोना
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की आयुष इकाई के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सूखी खांसी और गले में खराश को दूर करने में आयुष का घरेलू उपचार बहुत ही कारगर है. अगर आप ताजे पुदीने के पत्ते और काला जीरा को पानी में उबालकर दिन में एक बार भी भाप लेते हैं तो इससे काफी राहत मिलती है. यह बात वैज्ञानिक तरीके से साबित हो चुकी है कि भाप फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. भाप लेने से फेफड़ों को आसानी से संक्रमण मुक्त किया जा सकता है.
कोरोना संक्रमण होने के बाद भी बेहतर है भाप
डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोई भी शख्स 24 घंटे में तीन से चार बार भाप अपने फेफड़ों के अंदर ले जाते हैं तो इससे वायरस कमजोर हो जाता है. इसका मतलब है कि कोरोना का संक्रमण अगर किसी के फेफड़ों तक भी पहुंच चुका है तो आयुर्वेदिक भाप लेकर इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.
कोरोना मुक्त लोगों के लिए भी भाप जरुरी
ऐसा बिल्कुल जरुरी नहीं है कि कोरोना होने के बाद ही भाप ली जाए. बिना कोरोना हुए भी भाप ली जा सकती है. अगर ऐसे भी साधारण पानी को गर्म करके उसकी भाप फेफड़ों के अंदर ली जाती है तो कोरोना से संक्रमित होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
कोरोना से ज्यादा उसका डर लोगों को मार रहा है
कोरोना वायरस के बारे में जानकारी की कमी और तमाम तरह की भ्रान्तियां और अफवाह इस बीमारी को और भयावह बना दे रहे हैं. कोरोना से लड़ने का कोई भी उपाय ऐसा नहीं है जो आम इंसान की पहुंच से दूर हो. बस आपको अपनी जीवन शैली में कोरोना वायरस को भगाने के लिए बदलाव लाना होगा. अच्छी बात ये है कि भारत का पारंपरिक खाना पीना कोरोना वायरस से जूझने में बेहद मददगार साबित हो रहा है.