नई दिल्ली. भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के प्रति हमारी सरकार की गंभीरता को जताती ये एक मिसाल है जो बताती है कि भारतीय नागरिकों को कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है. देश बिलकुल सही और सशक्त हाथों में है. हमें कोरोना के प्रति गंभीर अपनी सरकार का साथ पूरी गंभीरता और सावधानी से देना है. दिल्ली की सुश्री वीना ने जो व्यक्तिगत रूप से महसूस किया उसको उन्होंने बाकायदा देश और दुनिया के साथ शेयर करने की ज़िम्मेदारी भी महसूस की. ज़ी न्यूज़ भी इसे शेयर करके देश के नागरिकों की हौसला आफज़ाई करना चाहती है.  


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''ये मेरा एक सुखद अनुभव है''


सुश्री वीना बताती हैं कि ये मेरा एक सुखद अनुभव है जिसे मैं सबके साथ साझा करना चाहूंगी क्योंकि इससे आप समझ जाएंगे कि आपकी सुरक्षा सशक्त हाथों में है. हाल ही में मैं यूएसए (सिएटल) और  टोक्यो की यात्रा करके वापस आई हूं. जब मैं इंदिरागांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरी तो सभी की तरह मेरी भी कोरोना को दृष्टि में रख कर हवाई अड्डे पर डॉक्स की एक टीम द्वारा जांच की गई. उस दिन केवल जापान, सिंगापुर, कोरिया, थाईलैंड और हांगकांग से उड़ानों की जांच की जा रही थी. अभी तक सभी ठीक रहा और मैंने अपना सामान रिसीव किया और घर आ गई. जोरदार जेट लेग के कारण 3 दिनों तक मैं घर के भीतर ही रही. 


''चौथी सुबह दरवाज़े पर हुई दस्तक'' 


मेरे आने के चौथे दिन रविवार था. सुबह सुबह मेरे दरवाज़े पर हुई दस्तक से मुझे थोड़ा अचरज हुआ.  दरवाज़ा खोलने पर मैंने पाया कि आरएमएल अस्पताल और आइजीआइ एयरपोर्ट ऑथोरिटी के 5 अधिकारी अप्रत्याशित रूप से मुझसे मिलने आये थे. उनके पास मेरी विदेश यात्रा का सम्पूर्ण विवरण था. उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. उन्होंने बताया कि वे यहां कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से आये हैं.   



 


''मुझे उलझन हुई''


मैं उलझन में थी क्योंकि मुझे पता था कि मैं ठीक हूं. मैंने उनसे कहा भी कि मैं पूरी तरह से ठीक हूं और  एयरपोर्ट पर भी मेरी मेडिकल जांच हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यद्यपि उनकी जानकारी में उस फ्लाइट के यात्रियों को लेकर सब कुछ ठीक था, लेकिन उसी दौरान एक फ्लाइट इटली से भी आई थी. और एक ही साथ दोनों फ्लाइट्स के यात्रियों के सामान उतार कर रखे गए थे. उस समय भी सब ठीक था लेकिन अब हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर वो यात्री जो उन दोनों फ्लाइट्स से भारत आया है, उनका स्वास्थ्य अच्छा हो. हम इन सभी यात्रियों से अगले पंद्रह दिन तक इसी तरह मिलते रहेंगे और इसी बहाने संक्रमण के प्रसार को भी हम रोक सकेंगे, बस इसी की तस्दीक करने के लिए हम यहां आये हैं और आपको कष्ट दिया.


''ये तो अविश्वसनीय है!''


उनकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गई. ये तो अविश्वसनीय है. ऐसा कहां होता है! आज छुट्टी का दिन है और ऐसे में भी हमारे सरकारी अधिकारी हमारे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए इस तरह से जहमत उठा रहे हैं. मुझे बहुत ख़ुशी हुई और गर्व महसूस हुआ अपने देश पर. वे अधिकारी अपने फोन नंबर छोड़ गए थे और कह गए थे कि कभी भी आपको कोई आवश्यकता हो तो हमसे सम्पर्क अवश्य करें.


''मुझे गर्व है कि मैं भारत की हूं''


इस घटना ने मुझे अपने देश पर गर्व करने का एक मर्मस्पर्शी कारण दे दिया. मैंने तो इन तीन दिनों में घर से बाहर कदम भी नहीं रखा था. लेकिन अब मुझे ख़ुशी हुई कि मैंने भी अपना एक छोटा सा कर्तव्य किया है अपने देश की सरकार के बड़े कार्य में जो वह इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कर रही है. इसीलिए मैं साझा कर रही हूं अपना अनुभव क्योंकि मुझे लगता है कि सरकार की आलोचना करना और उसके द्वारा प्रदान सुविधाओं का दुरुपयोग करना बहुत आसान है. लेकिन जहां पर सरकार को कोई श्रेष्ठ कार्य के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए वहां हमें पीछे नहीं रहना चाहिए. और मुक्त कंठ से उसकी सराहहना भी करनी चाहिए. मैं अपनी सतर्क सरकार, अपने समर्पित अधिकारियों, डॉक्टरों और हवाई अड्डे के कर्मचारियों के लिए धन्यवाद ज्ञापित करती हूं क्योंकि वे सभी पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं !!! सराहनीय !!!!


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