नई दिल्ली: मानसिक तनाव व्यक्ति को परेशान कर देता है. इसका असर हमारी फिजिकल हेल्थ पर भी काफी देखने को मिलता है. 'डेली मेल' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले हृदय रोग का खतरा 64 प्रतिशत बढ़ जाता है. इसको लेकर एक स्टडी भी सामने आई है. 


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महिलाओं में बढ़ा हृदय रोग का खतरा 
रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर्स ने डिप्रेशन, हृदय रोग, हार्ट अटैक और चेस्ट पेन के बीच संबंध का पता लगाने के लिए 4.1 मिलियन लोगों के हेल्थ डाटा का विश्लेषण किया. इस दौरान रिसर्च में पाया गया कि डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों में हृदय रोग का खतरा था. वहीं ये खतरा पुरुषों में 39 प्रतिशत तो महिलाओं में 64 प्रतिशत ज्यादा था. 'टोक्यो यूनिवर्सिटी' की ओर से की गई इस रिसर्च के मुताबिक महिलाओं में एनजाइना यानी सीने में दर्द, स्ट्रोक और हार्ट से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है. 


महिलाओं में डिप्रेशन का पड़ता है ज्यादा असर 
रिसर्च को लेकर को ऑथर डॉ हिदेहिरो कानेको ने कहा कि यह खोज डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में हृदय रोग से बचाव और इलाज में मदद कर सकती है. कई ऑथर्स का ये भी मानना है कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले डिप्रेशन के गंभीर लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जिसके चलते उनमें हार्ट से जुड़ी परेशानी का खतरा बढ़ता है. वहीं महिलाओं में पीरियड्स और मेनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेस भी डिप्रेशन की समस्या खड़ी करता है. 


यह भी हुआ खुलासा 
रिसर्च के अन्य परिणामों से पता चलता है कि बिना डिप्रेशन वाली महिलाओं के मुकाबले डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा 52 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं उनमें सीने में दर्द का खतरा 68 प्रतिशत होता है और स्ट्रोक समेत हार्ट फेलियर का खतरा 56 और 64 प्रतिशत ज्यादा होता है. इसको लेकर डॉ हिदेहिरो का कहना है कि हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को हृदय रोग के विकास में डिप्रेशन की भूमिका को जानना चाहिए और इसके रोकथाम के लिए जोर देना चाहिए. 


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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