नई दिल्लीः What is Standard Deduction: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में पेश कर चुकी हैं. इस दौरान वित्त मंत्री की ओर से कई बड़े ऐलान किए गए. इन ऐलानों में एक ऐलान स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन से संबंधित है. वित्त मंत्री ने बताया कि नए टैक्स रिजीम के तहत स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है. 


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2018 के बजट में लाया गया था स्‍टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन
ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर स्‍टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन क्या होता है और इससे आम आदमी को किस तरह के फायदे मिलते हैं. सामान्य अर्थों में स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन का मतलब टैक्स की राशि में छूट मिलना होता है. इसकी शुरुआत साल 2018 के बजट से हुई थी. तब इसकी सीमा 40,000 रुपये रखी गई थी. बाद में इसे बढ़ाकर 50,000 कर दिया गया था. वहीं, अब 50,000 की रकम को भी बढ़ाकर 75,000 कर दिया गया है. 


कर्मचारियों को टैक्स में छूट देना है मकसद 
स्‍टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन का मूल उद्देश्य कर्मचारियों को टैक्स छूट देकर उनके हाथों में पैसा देना माना जाता है. इसके तहत आयकरदाता की आमदनी से 75,000 रुपये की कटौटी के बाद बची हुई कुल धन राशि पर टैक्स की गणना की जाती है. इसे यूं समझ सकते हैं कि अगर आपकी सलाना आय 8 लाख रुपये की है, तो स्‍टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन के तहत आपको 75,000 रुपये का लाभ दिया जाएगा. 


जानें क्या है नया टैक्स रिजीम
ऐसी स्थिति में आपकी आय की गणना 8 लाख के बजाय 7 लाख 25 हजार की जाएगी और उसी राशि के आधार पर आपसे टैक्स लिया जाएगा. इसका लाभ वेतन भोगी कर्मचारी और पेंशनर्स उठा सकते हैं. बता दें कि नए टैक्स रिजीम के तहत 3 लाख रुपये तक के इनकम पर कोई भी टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा. वहीं, 3-7 लाख की आय पर 5 फीसदी, 7 से 10 लाख की आय पर 10 फीसदी, 10 से 12 लाख की आय पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख की आय पर 20 फीसदी और 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. 


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