नई दिल्ली: Wallace Line: सीमाएं इंसान को एक तरफ बांधकर रखती हैं. कुछ सीमाएं तो इंसान पार कर जाता है, लेकिन कुछ को पार करना किसी के बस में नहीं होता है. खासतौर पर जब बात प्रकृति की हो. हम आज आपको बताएंगे एक ऐसी अदृश्य सीमा के बारे में, जो प्रकृति की ओर से भी खींची गई है. इसे हम या आप पार करने की कोशिश भी नहीं कर सकते हैं.


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इस सीमा को पार कर पाना है मुश्किल 
हम यहां जिस सीमा की बात कर रहे हैं वह है वालेस लाइन. इसकी खोज साल 1859 में ब्रिटिश साइंटिस्ट अल्फ्रेड रसेल वालेस ने की थी. इस लाइन को आप अपनी आंखों से बिल्कुल भी नहीं देख सकते हैं. यहां तक की किसी मशीन के जरिए भी इस सीमा को नहीं देखा जा सकता है, हालांकि यहां रहने वाले जीवों को ये सीमा महसूस होती है. यही कारण है कि इसे इंसानों के अलावा और कोई भी जीव पार नहीं कर सकता है. 


दो द्वीपों के बीच स्थित है वॉलेस लाइन
दुनिया की यह अदृश्य और सबसे अनोखी रेखा इंडोनेशिया के दो द्वीपों बाली और लंबोक के बीच में स्थित है. इन दोनों जगहों के बीच करीबन 35km चौड़ी एक सीमा है, जो आसमान, धरती और समुद्र पर रहने वाले जीवों को काफी प्रभावित करती है. बता दें कि, जो जीव जानवर, पौधे, पक्षी और मछलियां बाली में पाए जाते हैं वे लंबोक में बिल्कुल भी नहीं पाए जाते हैं. यहां तक की धरती पर रहने वाले जानवर भी इस बॉर्डर को बिल्कुल पार नहीं करते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक लंबोक का जो हिस्सा है वह कहीं और से कटकर बाली के पास सट गया है. 


जीवों को भी अलग करता है वॉलेस लाइन 
वालेस लाइन मलय द्वीपसमूह और इंडो ऑस्ट्रेलियाई द्वीपसमूह में रहने वाले जीवों को अलग करती है. मलय द्वीपसमूह धरती पर आइलैंड्स का सबसे बड़ा समूह है. इसके पश्चिम की तरफ हाथी, टाइगर, गेंड और कठफोड़ा जैसे एशियाई जीव हैं. वहीं सीमा की दूसरी ओर कोमोडो ड्रैगन, कोकाटू और थैलीदार स्तनधारी जीव रहते हैं, जो इनसे बिल्कुल अलग हैं. यहां की परिस्थितिकी ( Ecology) बिल्कुल भिन्न है. 


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