नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जान बचाने के लिए हजारों अफगान सोमवार को काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे और इसी अफरातफरी में कुछ लोग वहां से उड़ान भर रहे एक अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान से गिर गये जिससे सात लोगों की मौत हो गई. 


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अमेरिकी राष्ट्रपति करेंगे संबोधित


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के एक दिन बाद सोमवार दोपहर व्हाइट हाउस से राष्ट्र को संबंधित करेंगे. इस बीच अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत ने सोमवार को कहा कि वह स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और उस देश में भारतीय नागरिकों के साथ ही अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगा. 


अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह काबुल हवाईअड्डे पर मची अफरा-तफरी में सात लोगों की मौत हो गई. इनमें से कुछ लोग वहां से उड़ान भर रहे एक अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान से गिर गये थे. व्यापक स्तर पर साझा किये गये एक वीडियो में यह देखा जा सकता है कि कुछ लोग एक अमेरिकी सैन्य विमान के उड़ान भरने से पहले उससे बाहर से लटक गये थे. एक अन्य वीडियो में देखा जा सकता है कि विमान जैसे-जैसे ऊंचाई पर जा रहा है, अफगान उससे नीचे गिर रहे हैं.


अफगानिस्तान में अफरातफरी का माहौल


वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस अफरातफरी में सात लोगों की मौत हो गई. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हवाई अड्डे पर अफरा तफरी का माहौल है, हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है जो जल्द से जल्द देश छोड़ने को बेचैन है और लोग हवाई पट्टी पर इधर से उधर दौड़ रहे हैं और विमानों में सवार होने के लिए धक्का मुक्की हो रही है. 


हवाई अड्डे की अफरातफरी पर काबू पाने के लिए अमेरिकी सैनिकों ने चेतावनी स्वरूप हवा में गोलियां भी चलायीं. राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से बाहर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान के लड़ाके काबुल में घुस गए. इसके साथ ही दो दशक लंबे उस अभियान का आश्चर्यजनक अंत हो गया जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने देश में बदलाव लाने की कोशिश की थी.


पूरे काबुल में तनाव


तालिबान ने एक हफ्ते से भी कम समय में देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया और पश्चिमी देशों द्वारा प्रशिक्षित देश का सुरक्षा बल तालिबान को रोकने या मुकाबला करने में नाकाम साबित हुआ. काबुल में तनावपूर्ण शांति है और ज्यादातर लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं तथा तालिबान ने प्रमुख चौराहों पर अपने लड़ाकों को तैनात कर दिया है.


लूटपाट की छिटपुट खबरें भी आ रही हैं. सड़कों पर इक्का दुक्का वाहन ही नजर आ रहे हैं और तालिबान के लड़ाके शहर के एक मुख्य चौराहे पर वाहनों की तलाशी लेते देखा जा सकते हैं. सोशल मीडिया पर उपलब्ध वीडियो में देखा जा सकता है कि हवाई अड्डे पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए हैं. एक वीडियो में भीड़ को एक विमान में सवार होने की कोशिश में सीढ़ी पर चढ़ते देखा जा सकता है. एक अन्य वीडियो में, सैकड़ों लोगों को अमेरिकी वायु सेना के एक परिवहन विमान के साथ दौड़ते हुए देखा जा सकता है.


मसूमा ताजिक (22) के अनुसार हवाई अड्डे की स्थिति दहशत भरी है. लेकिन उसे उम्मीद है कि लोगों को सुरक्षित निकालने वाले किसी उड़ान में वह भी सवार हो पाएगी. मसूमा ने कहा कि वह छह घंटे से हवाई अड्डे पर इंतजार कर रही है और इस दौरान उन्होंने गोलियां चलने की आवाज सुनी, जहां पुरुषों और महिलाओं की भीड़ एक विमान में सवार होने की कोशिश कर रही थी.


उन्होंने कहा कि जब लोगों ने दीवारों को तोड़ दिया, अमेरिकी सैनिकों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गैस का छिड़काव किया और हवा में गोलियां चलाईं. अमेरिकी दूतावास को खाली कराने के साथ ही अमेरिकी ध्वज को उतार लिया गया है. राजनयिकों को हवाई अड्डे पर स्थानांतरित कर दिया गया है. 


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अन्य पश्चिमी देशों ने भी अपने दूतावास बंद कर दिए हैं और कर्मचारियों और नागरिकों को बाहर निकाल रहे हैं. अफगान नागरिक सीमाओं को पैदल ही पार कर देश से बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उन सीमाओं पर अब तालिबान का नियंत्रण है. तालिबान ने जिस तेजी के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उससे अमेरिकी अधिकारी चकित हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि काबुल में क्या हो रहा है, यह देखना ‘‘दिल दहला देने वाला’’ है, लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडन सैनिकों को वापस बुलाये जाने के फैसले पर ‘‘डटे हुए हैं’’ क्योंकि वह वहां युद्ध नहीं चाहते थे.


अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क के साथ साक्षात्कार में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने तालिबान के तेजी से देश पर कब्जा करने के लिए अफगान सेना को दोषी ठहराया और कहा कि इसमें लड़ने की इच्छाशक्ति की कमी है.
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्वीट किया कि लड़ाकों को ‘‘जीवन, संपत्ति और सम्मान’’ की रक्षा करने का निर्देश दिया गया था और समूह ने यह भी कहा है कि वह अमेरिकी दूतावास परिसर के उच्च राजनयिक क्वार्टर हाउसिंग से बाहर रहेगा.


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