नई दिल्ली.   बड़ा खुलासा किया है अमेरिका ने जिससे दुनिया को पता चला है कि चीन की गतिविधियां बहुत संदेहास्पद है्, चीन ने रूस की कोरोना वैक्सीन आने के पहले ही अपने देश के नागरिकों को कोरोना वैक्सीन देना शुरू कर दिया था. ये बात जितनी हैरानी करती है कि चीन के पास पहले ही वैक्सीन थी, उतनी ही हैरान ये बात भी करती है कि ये चीनी कोरोना वैक्सीन बिना परीक्षणों के तैयार की गई है और इसने वैक्सीन निर्माण के मानकों का पालन भी नहीं किया है. 


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चीन ने चौंकाया था दुनिया को


जिस समय ये खबर आई थी कि चीन ने कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है और उसने  अपने नागरिकों को वैक्सीन देना भी शुरू कर दिया है, दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिक चौंक गये थे. अमेरिका के अखबार वाशिंगटन पोस्ट का दावा है कि चीन ने एक महीने पहले ही अपने लोगों को ये कोरोना वैक्सीन देनी शुरू कर दी थी. कोरोना की पहली वैक्सीन अर्थात रूस की कोरोना वैक्सीन एक माह बाद आई थी.


वैक्सीन के इस्तेमाल वाला पहला देश चीन


वाशिंगटन पोस्ट के दावे से पता चलता है कि वैक्सीन के इस्तेमाल वाला पहला देश चीन ही है. इस अमेरिकी अखबार की खोजी पत्रकारिता से पता चला है कि इस तरह चीन कोरोना मरीजों पर कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाला पहला देश बन गया है. यह काम चीन ने जुलाई के अंत में किया था और अपनी तथाकथित वैक्सीन को उच्च जोखिम दर वाले कोरोना के मरीजों को दिया था.


चीन ने तुरंत दी सफाई 


चीन ने इस खबर पर अपनी छवि बचाने का काम तुरंत शुरू कर दिया और चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बिना देर किये ये बयान जारी किया कि कुछ स्वास्थ्यकर्मियों और सरकारी उद्यमों से जुड़े कर्मचारियों को जुलाई महीने के आखिरी दिनों में वैक्सीन की डोज़ दी गई थी जो कि आपातकालीन प्रयोग के तहत ही दी गई थी.


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